पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/१३५

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१२२ राष्ट्रीयता और समाजवाद बहुत काम करते थे। आज तो वह इसपर काफी जोर देते है। यदि अन्य वामपक्षी भी इस कामको अमलमे महत्व दें तो इस दिशामें काफी काम हो सकता है । इतना कहनेपर यह मानना ही पड़ेगा कि व्यक्तिगत सत्याग्रहके प्रारम्भ होनेतक वामपक्ष- के दलोंने ही प्रधानतया काग्रेसके युद्ध-विरोधी निश्चयका जनतामें प्रचार किया था। एक ,वर्प तो किसी तरह व्यतीत हो गया । क्या भविप्यके लिए कुछ ग्राशा की जा सकती है ? वामपक्षसे तवतक कुछ नही हो सकता जबतक वामपक्षके वे दल जिनके उद्देश्य एक है इस बातको नही समझ लेते कि संयुक्त मोर्चा बनानेके सिवाय कोई दूसरी गति नही है । लेकिन यह तभी सम्भव है जव ईमानदारीकी रीतिसे काम हो और ठेकेदारीसे हमारे दोस्त दस्तवरदार हो । समाजवादियोने एकताके लिए काफी कोगिण की। सालोतक इसी कोशिणमे लगे रहे। इसके लिए पार्टीमें सभी विचारले समाजवादियोको स्थान दिया गया, लेकिन इस रुखकी कद्र न की गयी और सदा अपना मतलव गांठनेमे दूसरे लगे रहे। इस समय हर जगह यह रोग फैल गया है कि दलविशेषके स्वार्थ आन्दोलनकी जरूरतोसे भी ऊपर है । जबतक इस रोगसे हमारा छुटकारा नहीं होगा तवतक हम कुछ नही कर सकते । इसके लिए अहंमन्यताको कम करना होगा और यह मानना होगा कि हमारे सिवा दूसरे भी क्रान्तिकारी हो सकते है । आगे बढनेमे इस एकताका अभाव रुकावट डालता है। दूसरी बड़ी रुकावट हिन्दू- मुसलिम समस्या है। अगले लेखमें हम इसपर विस्तारसे विचार करेगे । अगस्त-क्रान्तिका स्वरूप और उसका सन्देश प्रश्न-६ अगस्तको छेड़े गये भारत छोड़ो आन्दोलनकी, आपकी रायमे क्या मुख्य विशेपता है ? उत्तर-यह आन्दोलन भारतीय स्वाधीनता-अान्दोलनका सबसे बड़ा जन-संग्राम था। किसी पूर्वनिश्चित योजनाके अभावमे भी देशकी जनता सर्वत्र सरकारके विरुद्ध उठ खडी हुई और जैसा कि स्वत -प्रसूत जनक्रान्तियोमे देखा जाता है, उसने शासन-सत्ताके केन्द्रोपर अधिकार करना और विदेशी शासनके प्रतीकोको नष्ट करना प्रारम्भ किया। प्रचलित शासन-व्यवस्थाके विरुद्ध शान्तिमय प्रदर्शन तथा स्वत.-प्रमूत व्यापक जन- विद्रोहमें जो अन्तर होता है वही 'भारत छोड़ो' आन्दोलन तथा उसके पूर्ववर्ती काग्रेसके अान्दोलनोमे देख पड़ता है । प्रश्न-क्या 'अगस्त-आन्दोलन' को कांग्रेसका आन्दोलन कहना उचित होगा ? कांग्रेस हाईकमाण्ड'का अपनी गिरफ्तारीके वाद आन्दोलन चलानेके सम्बन्धमें किसी योजनाका न छोड़ जाना किस वातका द्योतक है ? उत्तर-यह आन्दोलन काग्रेसका आन्दोलन था इसमे मुझे कोई सन्देह नही है। १. 'संघर्ष' १३ जनवरी, १९४१ ई०