पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/१४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

स्वाधीनता दिवस और हमारा कर्तव्य १३१ अपनी-अपनी इच्छाके अनुसार सचालित करनेकी पूर्ण स्वाधीनता न हो तवतक वह कैसे स्वाधीन कहला सकता है। ब्रिटिश शासक आज सगीनोके वलपर ये सुविधाएँ नही बनाये रख सकते, इसलिए मुसलिमलीग देशी नरेश तथा दूसरी प्रतिगामी शक्तियोकी पीठ थपथपाकर उन्हे उत्तेजित करके और उनकी बहुत-सी काररवाइयोको तरह देकर वे अपना काम बनाना चाहते है । देश विभिन्न प्रतिस्पर्धी भागोमे बँटा रहे, विभिन्न भागोके निवासी अापसमे मिलकर समूचे देशको समृद्धिकी योजना बनानेके स्थानपर एक दूसरेको भय और ईर्ष्याकी दृप्टिसे देखते रहे और अपने क्षेत्रकी समृद्धिकी ओर ही उनका ध्यान रहे इसीमे वे आजकी परिस्थितियोमे अपने इन दोनो आधारभूत स्वार्थोकी सुरक्षाका उपाय पाते है। जिस प्रकार भारतको वे 'हिन्दुस्तान', 'पाकिस् और 'राजस्थान मे वॉटना चाहते है उसी प्रकार फिलिस्तीन- को भी अरविस्तान, यहूदिस्तान और अग्रेजिस्तानके तीन टुकडोमे वॉटना चाहते है इसी प्रकार नील नदीकी घाटीमे सूडानका पाकिस्तानी अस्तित्व अलग बनाये रखना चाहते है । आजकी परिवर्तित परिस्थितियोको देखते हुए दूसरे पुराने साम्राज्यवादी देश भी ब्रिटेनकी कूटनीतिका अनुसरण कर रहे है । फ्रेच शासक हिन्दचीनमे कोचीन-चीनके रूपमे पाकिस्तानकी सृष्टि कर रहे है । प्रतिगामी शक्तियोंको उत्तेजना जहाँ ब्रिटिश शासक उपनिवेशोके भीतर अपने स्वार्थोकी रक्षाके लिए प्रतिक्रियागामी शक्तियोको उभाड रहे है, वहाँ साम्राज्यपर वाह्य आक्रमणके प्रति भी वे पूर्णरूपेण सजग एवं सतर्क है । ब्रिटेनको अपने साम्राज्यके लिए रूससे वडा खतरा मालूम पडता है । रूसका मुकाबला करनेके लिए ब्रिटिश शासक अमेरिकाके साथ गठवन्धन कर रहे है । अमेरिका अाज पूंजीवादका सबसे बड़ा गढ है । उसका मौन साम्राज्यवाद ससारके वृहत् भागपर फैला है और उत्तरोत्तर बढता जा रहा है। किन्तु इसकी परवाह न करते हुए ब्रिटिश शासक अमेरिकाके साथ मिलकर अपनी सैनिक-रक्षाकी योजनाएँ बना रहे है । मध्यपूर्व और भूमध्यसागरके प्रदेशोके आन्तरिक मामलोमे ब्रिटेन और अमेरिका मिलकर हस्तक्षेप कर रहे है । अफ्रिकामे ब्रिटेन और अमेरिकाके जो हथियारके कारखाने खुल रहे है और लीवीया, नाइजेरिया और सूडानको सैनिक अड्डोके रूपमे विकसित करनेकी योजना वन रही है उसका उद्देश्य साम्राज्य-रक्षाकी तैयारी ही है। ब्रिटिश शासकोंकी पुरानी चाल जवतक ब्रिटिश फौजे हमारे देशसे नही चली जाती, अपने देशके सैनिक साधनोका उपयोग करनेकी पूर्ण स्वाधीनता हमे नही प्राप्त होती, युद्धकालमे ब्रिटेनको अपने सैनिक अड्डोका उपयोग करनेकी शर्त हमे माननी पडती है और अपने देशका आर्थिक विकास करनेके लिए हम पूर्ण स्वतन्त्र नहीं होते, ब्रिटिश मालके लिए विशेष सुविधा देनी पडती है, तबतक केवल देशके शासन-प्रवन्ध देशवासियोके हाथमे आ जाने मात्रसे हमे यह नही समझ लेना चाहिये कि देश स्वतन्त्र हो गया। ब्रिटिश राजनीतिज्ञोका यह पुराना तरीका