पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/१८५

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१७२ राष्ट्रीयता और समाजवाद कि सबकी आजादीमे हमारी आजादी भी शामिल है तो यह भी मानना पोगा कि हमारी गुलामीमे मवकी गुतामी छिपी हुई है। यदि हम अपनी दागताय बन्धन यहां काटने है तो दूसरी प्रगतिशील शक्तियोनो भी भवन बनाते है । तथ्य नही : भारत अपनी स्वतन्त्रता अर्जित करके ही, मिर्फ मी तरीकेमे गगोर चीनकी गयर कर सकता है। विचारिये कि यदि भारत स्वतन्त्र होता तो पया मारता? दिमाग लिए मान भी गे कि यह युद्ध प्रजातन्तागी स्थापनाके लिए ना जा रहा तो भी गया स्वतन्त्र भारत विना सोने विचारे प्रागमे गाव पाता ? मिनी भी स्वान्न गादन प्रयतर ऐना नहीं किया । जिनकी यह नाई नहीं कर सलमे अगदी राना । भी यही चाहता था । तुर्कीगी भी यही नीति है। हम भी उनी नीतिमा सना गाने । हां, यदि हमारे देशपर कोई राष्ट्र प्रानमण करना तो ग उगमा साना मल और उस अवस्थागे उन राष्ट्रोसे मैत्री करने जो हमारे मनो निपता होने । fry भान जय हम गुलाम है तो भी तुमको दूगरोली श्रागावीत लिए लगेगा माता। यह एक अजीब-नी बात है । गायद कानेवाले गनमजने किगतामनी जानकी कीमत ही कितनी । अपने देश भारतवागो भाये दिन गिनी न गिनी गामार्ग गिकार होते रहते हैं । सगे तो काही अन् कि कमरोली गावामी लिए नगर मरें। हम भारतवानियोको आजादीको मगोवनों और मठिनागोला गगनय गोई नहीं। हमने तो केवल उसका सुनहला पहन देता है । उनी में हग मन्त। हमाग जोगदन कदर वटा दया है कि हम दुनियाने गलामी श्रीर माथिोषणको मिटा देना नाते है । इसीलिए हमारी चीन और रसो साथ लादिक नताननति है। किन्तु गन्नमेष्ट्रों में यह उत्साह और पादर्शवादिता नहीं पायी जाती। गया हमागे हम मानिाया अनुचित लाभ उठाया जा रहा है या हग गुलामोलोग तरह पिटाया जा रहा है ? यह भी कहा जा सकता है कि अब तो युद्ध दरवाजेपर पा गया, अब गलागी प्राजादीका क्या सवाल है ? अब तो अपनी मातृभूमिको रक्षाका नवाप है। न्तु हमलोग काबिल ही नहीं रक्या गया है कि हम अपनी रक्षा कर ग । हमको तो पीरनाबालिग बनाफर रखा गया है । हम सिर्फ. दुग्रा कर सकते है या कोरा सकते है । लामें शरीक होकर हम अपनी मदद तो न कर सकेगे किन्तु अपनी गुतामीगी जजीरोगो अपाय मजदूत कार देगे। दुनियाको यही बतलाया जायगा कि हिन्दुस्तान अपनी गुनामीसे सन्तुष्ट है । वर्तमान महायुद्धके उद्देश्य साम्राज्यवादने दुनियाका वन्दरबांट किया है और दुनियाको तीन समुदायोमें बांट दिया है । अमेरिका, इङ्गलैण्ड और जर्मनी इन समुदायोका नेतृत्व करते है । अन्य छोटे राष्ट्र इनमेंसे किमी एकका साथ देनेके लिए विवश हैं । इस युद्धमें इङ्गलैण्ड अमेरिकाके आश्रित हो गया है । यदि यह कहा जाय कि शायद इस युद्धमे इङ्गलैण्ड और अमेरिकाका एक गुट हो गया है तो शायद अत्युक्ति न होगी। दोनोंकी प्रतिद्वन्द्विता कुछ अरसेसे चली