पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/२१८

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1 काग्रेस और सोशलिस्ट पार्टी २०५ लिया। सामन्तशाही और स्थिर स्वार्थोसे समर्थित साम्प्रदायिकता तूफानकी तरह देशमे फैल गयी। साम्प्रदायिक घृणा और रोपकी शक्तियाँ नये राज्यकी जड़ोतकको उखाड़ फेक देना चाहती है। हिन्दुस्तानमे असाम्प्रदायिक जनतन्त्रको रक्षाके लिए इन प्रतिगामी शक्तियोका मुकाबला करना चाहिये । साम्प्रदायिकताकी इन प्रतिगामी शक्तियोके अलावा, कम्युनिस्ट लोगोको भी हमारे नये राज्यको रक्षाका कुछ ध्यान नही है । उनकी वफादारी भी देशके बाहर ( Interterritorial ) है। हमे कम्युनिस्टोसे भी लड़ना है अगस्त सन् १९४७ से पहले काग्रेस एक विस्तृत सयुक्त मोर्चा थी। उसका प्रगतिशील, सदा विकासमान और व्यापक विचार था । लेकिन आज वह एक पार्टी है । वह राजनीतिक स्वतन्त्रताको ही अपना ध्येय समझती है और अव शक्तिका उपयोग करनेमे ही संलग्न है । ऐसा मालूम होता है कि उसने हुकूमत करना ही अपना काम समझ रखा है। काग्रेसने तो सरकारसे अपना समीकरण ( identification ) कर लिया है। वह तो अब सरकारके अधीन हो गयी है। काग्रेसमे हर किस्मके आदमी शरीक हो गये है । कलके देश-भक्त गद्दार वताये जाते है । काग्रेस-राजके अन्दर देशभक्तिकी व्याख्या ही वदल गयी है । काग्रेसके आदर्शों और काग्रेस सरकारोके कार्योमें वडा अन्तर है । कांग्रेसका दावा है कि सम्प्रदायवादियोका उसमे कोई स्थान नही । लेकिन कट्टर सम्प्रदायवादी सरकारके मेम्बर है। सरदार वल्लभभाई पटेल पूंजीवादियोको आश्वासन देते है कि षण्मुखम् चेट्टी उनके प्रतिनिधि है और इसलिए उन्हे भयकी जरूरत नही । वह चाहते है कि मुस्लिमलीगी लीगको खत्म कर काग्रेसमे शामिल हो जायँ । वह कांग्रेसमे हिन्दू सभाइयोका स्वागत करते है । इस तरह एक द्वारसे कांग्रेस सोशलिस्टोको निकालती है और दूसरे द्वारसे पूंजीवादियो और सम्प्रदायवादियोको शामिल करती है । ईश्वर ही कांग्रेसकी रक्षा कर सकता है ! काग्रेस सरकार कहती है "पैदा करो या मरो' । वह मजदूरोसे अधिक त्यागकी मॉग करती है । यह कैसे हो सकता है ? "पैदा करो या मरो' का नारा केवल मजदूरोसे ही सम्बोधित नही किया जा सकता है। यह नारा पूंजीपतियो और धनियोसे भी सम्वोधित होना चाहिये। अगर स्थिर स्वार्थ चार कदम आगे बढ़नेको तैयार हो तो मैं सरकारको विश्वास दिलाता हूँ कि मजदूर पीछे नही रहेगा। हम भग्नहृदय काग्रेसके वाहर नहीं आ रहे है। हमारे आदर्श भिन्न है। आज आदर्शोका विरोध है। इसका यह अभिप्राय नही कि जो काग्रेसमें रह गये है वे सव प्रतिगामी है। साम्प्रदायिक घृणा और भावना तथा साम्प्रदायिकताके जहरको खतम करनेके लिए हमे काग्रेससे सहयोग करना चाहिये। अगर हमारे राज्यको सवल बनना है, तो असाम्प्रदायिक जनतन्त्रका वातावरण सारे देशमे फैलना चाहिये ।