२०६ राष्ट्रीयता और समाजवाद हम अपने देशमें नये जीवनकी बुनियाद टालते जा रहे हैं । नौकरणाही विल्कुल प्रतिगामी, भ्रष्ट और दकियानूसी है । शासनयन्त्र, अग्रेजोकी कृति, नितान्त कालातीत है। हमे कर्मचारियोको नयी शिक्षा देनी होगी। उन्हें यह बात समझानी है कि जनता और राज्यके नौकर हैं । बुद्धिजीवियोके बिना हमारा काम नहीं चल सकता । हमे उन्हें अपनेमे शामिल करना चाहि । ऐसा दिखायी देता है कि सरकारका एकतन्त्रीकरण हो रहा है। कांग्रेसमे अधिनायकत्व बढ रहा है। सरकारी पार्टीके खिलाफ जनतान्त्रिक, स्वतन्त्र , निर्भीक और स्वस्थ विरोधकी मांग है । इस मांगको सोशलिस्ट पार्टी ही पूरा कर सकती है। इतिहासके इस चैलेजको हमें स्वीकार करना होगा। हमे यह नहीं भूलना चाहिये कि जनतन्त्रकी जड़ें जनतामें है । अगर जनता शक्ति- सम्पन्न है, तो राज्य भी शक्तिशाली होगा । मैं यह माननेको तैयार हूँ कि काग्रेस छोड़नेके बाद कुछ दिनोतक हमे वियावानमे रहना पडेगा । लेकिन इसकी क्या परवाह है ? काग्रेस जीवनहीन होती जा रही है। राष्ट्र प्राणाकी नयी किरण तथा स्रोतकी खोजमे है । इस प्राशाका स्रोत किसानो और मजदूरोमे है । आशाकी इस नयी किरणकी खोजका उत्तरदायित्व सोशलिस्ट पार्टीपर है । हमे इस उत्तरदायित्वको मजूर करना है । मुझे यकीन है कि हम शीघ्र ही समाजवादी समाजका विकास कर सकेगे। शीघ्र ही जन- तान्त्रिक समाजवादको स्थापित करनेमे सफल होगे । हमारा स्वप्न सत्य सिद्ध होगा । जनतन्त्रको रक्षाके लिए विरोधी दलकी आवश्यकता माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने और मेरे ग्यारह साथियोने आज असेम्बलीसे त्यागपत्र देनेका निर्णय कर लिया है और कांग्रेस-असेम्बली पार्टीके नेताको अपना त्यागपत्र दे दिया है। मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि काग्रेससे पृथक् होनेका यह निर्णय हमारे जीवनका सबसे कठिन निर्णय है। बिना पूर्वविचारके हमने यह निर्णय सहसा नही किया है । कठोर कर्तव्य-भावनासे प्रेरित होकर ही तथा अपने आदर्शों और उद्देश्योकी पूर्तिके लिए हम इस निर्णायपर पहुँचने के लिए विवश हुए है । इस निर्णयपर पहुँचनेमे हमने काफी समय लिया है । हम देशकी वर्तमान स्थितिसे भलीभांति परिचित है । हम मानते है कि देश सकटको अवस्थासे गुजर रहा है । किन्तु हम इन सकटोकी सूचीमे अपनी संस्कृति तथा जनतन्त्रको भी शामिल करते है । आज जनतन्त्र तथा हमारी संस्कृति भी खतरेमे है। यह निर्विवाद है कि जनतन्त्रकी सफलताके लिए एक विरोधी दलका होना आवश्यक है-एक ऐसा विरोधी दल, जो जनतन्त्रके सिद्धान्तमें विश्वास रखता हो, जो राज्यको १. सोशलिस्ट पार्टीके नासिक अधिवेशनके निश्चयानुसार युक्तप्रान्तीय व्यवस्थापिका सभाकी सदस्यतासे दूसरे १२ साथियोके साथ इस्तीफा देते हुए पढ़ा गया वक्तव्य ।
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