पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/२२३

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२१० राष्ट्रीयता और समाजवाद है। काग्रेसका वह दल जिसका कांग्रेस मशीनपर कब्जा है अब अन्य विचारधारायोको काग्रेसमे स्थान नही देना चाहता। वह काग्रेसको एक पार्टीका रूप देना चाहता है । गवर्नमेण्टका फायदा भी इसीमे है। इसी प्रकार वह काग्रेसको अपने लिए प्रयोग कर सकते है । यह दल एक प्रकारसे मध्यम श्रेणीका प्रतिनिधित्व करता है। कांग्रेसकी परम्पराके अनुसार इनकी भी सहानुभूति जनताके साथ है और आज कोई गवर्नमेण्ट जनताकी उपेक्षा भी नही कर सकती। किन्तु इस सहानुभूतिकी मर्यादा बहुत सीमित है । यदि कोई शुद्ध पूँजीवादी गवर्नमेण्ट होती तो उसको भी विवश होकर जनताकी स्थितिको उन्नत करना होता । उसमे और वर्तमान गवर्नमेण्टमे अन्तर इतना ही है कि यह गवर्नमेण्ट जनताका साथ देनेके लिए स्वत. स्वतन्त्र है । किन्तु वह एक प्रकारकी परवशतामे पड़ी हुई है । गवर्नमेण्टमे भी विचारोकी समानता नही । उनमे ऐसे भी व्यक्ति है जो समाजवादको स्वीकार करते है, किन्तु गवर्नमेण्टकी नीति एक व्यक्तिविशेपके विचारोके अनुसार नही निर्धारित होती, चाहे वह व्यक्ति कितना ही बड़ा क्यो न हो । इसलिए यह कहना कि क्योकि केन्द्रीय गवर्नमेण्टके प्रधान सचिव पण्डित जवाहरलाल नेहरू है इसलिए गवर्नमेण्ट सोशलिस्ट है, गलत होगा । हम यह प्रश्न कर सकते है कि एक सोशलिस्ट प्रधान सचिवके होते हुए उसकी कैविनेटमे पूंजीपतियोके समर्थक कई सचिव क्यो है तथा उसमे हिन्दू महासभाके एक प्रधान व्यक्ति क्यो है । हम यह नही मानते कि पण्डितजीने इन सज्जनोको अपनी खुशीसे मन्त्रिमण्डलमे लिया है। वह इनको लेनेके लिए परिस्थितियोसे मजबूर कर दिये गये है। ये परिस्थितियाँ क्या है । एक तो काग्रेस मशीनपर जिनका कब्जा है वह पण्डितजीके विचारके नही है, वह पूंजीपतियोके समर्थक है । दूसरी बात यह है कि काग्रेसकी कोई अर्थनीति नीचेके प्रभावसे ठीक-ठीक नही बन पायी है । यदि बन पाती तो काग्रेसकी मशीनपर पण्डितजीका ही कब्जा होता । आज पण्डितजीका सबसे अधिक प्रभाव है देश और विदेश दोनोमे । वह अन्तर्राष्ट्रीय व्यक्ति है । किन्तु वह मध्यम वर्गका जिसका मशीनपर कब्जा है प्रतिनिधित्व नही करते । इस वर्गको पण्डितजीकी बहुत जरूरत है । असलियतको छिपानेके लिए और गवर्नमेण्टकी शोभाको बढानेके लिए तथा उसे लोकप्रिय बनानेके लिए, पण्डित नेहरूके बिना यह गवर्नमेण्ट अपनी लोकप्रियता खो देगी । इस उद्देश्यको पूरा करनेके लिए वह नेहरूजीको थोडा-बहुत सन्तुष्ट भी करेगे, किन्तु यह दिखानेके लिए कि उसके विना वह कुछ नही कर सकते वह कभी-कभी अपना हाथ खीच लेगे । और आज जव पैदावार बढानेकी इतनी जरूरत है अपनी पूंजी व्यवसायसे खीचकर नेहरूजीको यह दिखलाना चाहेगे कि उनकी सहायताके बिना यह कार्य नही हो सकता। किसी गवर्नमेण्टकी नीतिके अन्तिम निर्णायक व्यक्तिविशेष नही होते, किन्तु पार्टी मशीन होती है, यह मशीन पण्डित नेहरू और जनताको एक दूसरेसे अलग करती है । महात्माजीसे बढकर प्रभावशाली कौन हो सकता है, किन्तु क्या हम नही जानते कि इधर दो वर्पसे गवर्नमेण्टपर उनका प्रभाव क्षीण हो गया था। वह स्वयं कहा करते थे कि पैदलोपर मेरा प्रभाव है, किन्तु शतरंजके बड़े मुहरोपर जैसे वजीर आदिपर अब मेरा