पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/२४१

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२२६ . राष्ट्रीयता और समाजवाद गलत है कि कांग्रेसकी उग्र राष्ट्रीयताके गर्भसे समाजवादका जन्म केवल घोपणाओं और व्याख्यानोके सहारे सम्भव होगा । सर्वहारा वर्गको अपने नये ऐतिहासिक कर्त्तव्यके प्रति. जाग्रत करनेके लिए जोरदार सामाजिक कार्यक्रम और उस वर्गका सगठन आवश्यक है और उसे वर्गविहीन समाजकी स्थापनाके कर्त्तव्यकी पूत्तिके योग्य बनानेके लिए पर्याप्त शिक्षाकाल आवश्यक होगा। विना जन-सहयोगके कोई भी क्रान्ति सफल नही हो सकती। काग्रेस जिस मार्गपर चल रही है वह उसे एक अन्धी गलीमे ले जायगा और प्राजकी महन्वपूर्ण समस्याग्रोको वह हल न कर सकेगी। काग्रेस और सोशलिस्ट पार्टीके उद्देश्यो और नीतिमे कोई अन्तर नहीं है, इस कथनमे कोई सत्यता नही । कुछ शर्तोको पूरा करनेपर ही कोई सगठन सामाजिक परिवर्तन लानेका समुचित साधन हो सकता है और कांग्रेस इन शर्तोको पूरा नहीं करती। काग्रेस उग्र राष्ट्रीयताका प्रतिनिधित्व करती है और अधिनायकवादकी ओर अग्रसर हो रही है । इसी कारण प्रत्येकसे काग्रेसमे सम्मिलित होनेको कहा जा रहा है । अपनेमे सम्मिलित करनेके पहले किमी समुदायकी विचारधारा और पिछले इतिहासको वह नही देखना चाहती । उसकी एकमात्र चिन्ता उन सारे विरोधो और उन स्वतन्त्र सगठनोको समाप्त कर डालनेकी है जो उसके अधिकारका विरोध करनेकी इच्छा कर सके । यदि प्रतिक्रियावादी और साम्प्रदायिक शक्तियाँ अपना अलग अस्तित्व समाप्त कर उसके अनुशासनमे आ जाये तो वह सहर्प उनके साथ शक्तिका वटवारा कर लेगी। फिर भी यदि यह कार्य सम्पन्न हो गया तो कांग्रेसकी क्या दशा होगी, यह सोचकर हम कॉप जाते है । तथापि काग्रेसके अध्यक्ष महोदय यह कहनेका साहस करते है कि पाँच वर्षमे वर्गविहीन समाज स्थापित हो जायगा ! मेरे आदरणीय साथी राममनोहर लोहियाने अपने युक्तप्रान्तके चुनावके दौरेमे 'संकटवाद' शब्दका प्रयोग किया है । यह छोटासा शब्द काग्रेसजनोद्वारा प्रतिदिन होनेवाले भाषणोकी मूल प्रवृत्तिको स्पष्ट करता है। उनका कथन है कि वह नवजात राज्य तरह-तरहके खतरोसे घिरा हुअा है। अतः प्रत्येक नागरिकको सरकार-भक्त बनना चाहिये और उसे अपना अधिक सहयोग देना चाहिये। इनमेसे कुछ संकट अव दूर हो चुके हैं । पर उनके भाग्यसे नये सकट उत्पन्न होते रहते है । इनमे सबसे नया साम्यवादका सकट है । हमसे कहा जाता है कि चीनका पतन हो रहा है, साम्यवादका सकट हमारी सीमाप्रोतक पहुँच गया है और यदि इस समय कोई परिवर्तन अपने देशमे होता है तो कम्युनिस्ट इससे लाभ उठावेगे। मेरी रायमे यह प्रचार समाजके संरक्षणशील तत्त्वोको और उन राजनीतिक दलोको जो प्रजातन्त्रका समर्थन करते है और अधिनायकवादके विरुद्ध है डराये रखनेका एक साधन है । साधारणतया यह भी विश्वास किया जाता है कि मध्य मार्गके राजनीतिक दलोका भी कोई भविष्य नहीं है और इस मध्य मार्गके दलोंमें सोशलिस्ट पार्टी भी एक है। यह एक गलती है जिसके सुधारकी आवश्यकता है। मैं कम्युनिस्ट पार्टीको उग्र वामपक्षी पार्टी नहीं मानता। मेरे विचारसे वही पार्टी उन वामपक्षी पार्टी हो सकती है जिसमे सामाजिक न्याय और समानताकी प्राप्तिके लिए कान्तिकारी परिवर्तन लानेकी बुद्धिमत्ता और साहस हो। कोई अधिनायकवादी पार्टी