पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/३३८

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योग्य शिक्षकोकी कमी ३२३ व्यक्तिके लिए अध्यापकका कार्य अाकर्षक नही है। राष्ट्रीय आन्दोलनमे जो उच्च शिक्षाप्राप्त लोगोकी कमी है, उसका एक कारण यह भी है कि प्रथम महायुद्धके वाद सरकारी कर्मचारियोके वेतनमें अति मात्रामे वृद्धि हुई और सिविल सर्विसकी परीक्षा यहाँ भी होने लगी। शिक्षाके क्षेत्रमे योग्य शिक्षकोकी कमीका कारण भी यही है । यह चिन्ताका विषय है और इसपर गम्भीरताके साथ विचार करनेकी आवश्यकता है। हमारा भविष्य उज्ज्वल हो इसके लिए अध्यापनके कामको पाकर्पक बनाना पड़ेगा। आज जव समाजका आर्थिक कष्ट बढ गया है और रुपयोमे मनुष्यकी कीमत आँकी जाती है, तब पुरस्कारकी वृद्धिका प्रश्न अध्यापकके लिए भी महत्त्वका हो जाता है । पुनः नये अधारपर समाजकी व्यवस्था एकाएक नही हो सकती । जीवनके प्रेरक हेतु एकाएक बदले नही जा सकते । कमसे कम पूँजीवादी समाजमे धनका महत्त्व रहेगा ही। ऐसी अवस्थामे केवल अध्यापकसे त्यागकी अाशा रखना ही व्यर्थ है । अत अध्यापनके कार्यको अाकर्पक बनानेका एक ही तरीका है और वह है उसके वेतनमे समुचित वृद्धि । हमारी कठिनाई और भी बढ जाती है जब हम देखते है कि पुलिस आदि विभागमे पुरस्कारकी कही ज्यादा वृद्धि हुई है। यदि समान योग्यताके लोगोका समान वेतन हो तो असन्तोप नही होता । असमानताके कारण असन्तोप बढता है । यह मनुष्यका स्वभाव है । वेतन-वृद्धि करते समय इस वातपर कही भी ध्यान नही दिया गया है । समाजमे शान्ति- स्थापनके कार्यको शिक्षाकी अपेक्षा अधिक महत्त्व दिया जाता है । यह सब जगहका हाल है। ससारमे सर्वत्र अध्यापकको सबसे कम पुरस्कार मिलता है । निम्न श्रेणीके अध्यापको- का हाल और भी बुरा है । हमारे देशकी अवस्था इस दृष्टिसे और भी गिरी हुई है । यहाँ विश्वविद्यालयके प्रोफेसरका पुरस्कार प्रारम्भिक स्कूलके शिक्षकके वेतनका २० गुना है, जव कि इग्लैण्डमे केवल ६ गुना है । इग्लैण्डमे प्रारम्भिक स्कूलके शिक्षकको उतना ही वेतन मिलता है, जितना उद्योग व्यवसायमे कार्य करनेवाले मजदूरको । अभी गवर्नमेण्ट आफ इण्डियाके 'पे कमीशन' ने यह सिफारिश की है कि अशिक्षित मजदूरकी गुजारे लायक मजदूरी आज ५५) रु० मासिक होनी चाहिये और इसे गवर्नमेण्टने स्वीकार कर लिया है । किन्तु हमारे यहाँ प्राथमिक स्कूलके अध्यापकको कुल जमा ३३) रु० मिलता है । यह ठीक है कि केन्द्रीय गवर्नमेण्टकी आमदनी कही ज्यादा है और वह इतना मासिक पुरस्कार नियत कर सकती है, किन्तु ऐसा करनेसे प्रान्तीय गवर्नमेण्टकी दिक्कते वढ जाती है । आमदनीके कुछ सीगे जो प्रान्तोके होने चाहिये आज केन्द्रीय गवर्नमेण्टके हाथमे है । प्रान्तीय गवर्नमेण्टको इन्हे केन्द्रसे वापिस लेना चाहिये और प्रायके नये द्वार भी खोज निकालने चाहिये । इसके विना अध्यापकोके पुरस्कारमे और वृद्धि नहीं हो सकेगी “और विना इसके उनको आप सन्तुष्ट न कर सकेगे । हमने इस प्रश्नके महत्त्वकी ओर ऊपर सकेत किया है और यह कहा है कि यह प्रश्न और देशोको भी परेशान कर रहा है । अमेरिकामे यह प्रश्न विकट रूप धारण कर रहा है। गत एक वर्षमें ६००० स्कूल बन्द हो चुके है । इस वर्प ७५,००० वच्चोकी पढ़ाईका प्रबन्ध नही किया जा सका है । इसके अतिरिक्त ५० लाख वच्चोकी पढाईका जो थोडा-बहुत