पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/३४५

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३३० राष्ट्रीयता और समाजवाद हमारे लिए वस है। यदि यह विश्वास है तो विज्ञानके वलसे हम मानव अस्तित्वके उद्देश्योको सिद्ध कर सकते है । शिक्षा देनेवालेका यह काम है कि शिक्षापद्धतिमे नया सुधार करे और पाठ्यक्रमके अतिरिक्त ऐसे काम निकाले जिससे बच्चेको स्कूलके अन्दरकी परिस्थितिसे ही उन सामाजिक आदर्शो और चारित्रिक दृष्टान्तोकी शिक्षा मिले जो राष्ट्रको उत्तम बनानेमे साधक होते है । हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिये जिससे विचारो और भावोकी एकता परिपुष्ट हो ताकि मन बुद्धि और हृदयकी एकता साधित हो सके । धार्मिक शिक्षासे लोग और भी अधिक हठधर्मी और साम्प्रदायिक बनेगे, वह उदार और व्यापक दृष्टि उनकी न होगी जो राष्ट्रीय एकताके लिए इतनी आवश्यक है । साम्प्रदायिकतासे हमारे राष्ट्रको जो खतरा है उसे जो लोग समझते और उसकी तीव्र वेदना अनुभव करते है उन्हे चाहिये कि वे एकत्र होकर इस दैत्यसे जूझनेके साधन और उपाय करे । दूरदर्शी और विश्वासी नेता ही इस सास्कृतिक संकटसे तारनेमे हमारी मदद कर सकेगे।' युवकोंको संदेश दक्षिण एशियाके विभिन्न देशोकी युवक संस्थानोके उन प्रतिनिधियोका मैं हार्दिक अभिवादन करता हूँ जो कलकत्तेमे इस उद्देश्यसे एक सम्मेलनमे एकत्र हो रहे है कि स्वाधीनता और सम्यक् जीवनके निमित्त युवक समानरूपसे जो सघर्ष चला रहे है उसके वलकी वृद्धि हो । विदेशी साम्राज्योके विरुद्ध किये जानेवाले संघर्पमे इन देशोके युवक सदा ही आगे रहे है । इनमेसे कुछ देश स्वाधीन हो भी चुके है और दूसरे वडी कठिन परिस्थितियोका सामना करते हुए अपनी लड़ाई अनवरत जारी रखे हुए है । पर इतिहास क्या फैसला देगा यह स्पप्ट है और साम्राज्योके दिन गिनतीके रह गये है। जिन देशोको स्वाधीनता प्राप्त हो चुकी है उन देशोमे युवकोके सघर्पका एक नवीन अध्याय प्रारम्भ हुआ है । वहाँ अब यह सघर्प राजनीतिक स्वाधीनताके लिए नही रहा । अब जो सघर्प है वह रोटी और शान्तिके लिए है । वहाँ युवकोको जो लडाई लड़नी है वह दरिद्रता, अज्ञान और शोपणसे है । युवकोको जीवनके विभिन्न क्षेत्रोमे नेतृत्व करने योग्य अपने-आपको बनाना है। राष्ट्रके नेतासोका यह कर्त्तव्य है कि वे युवकोके अधिकार माने । मानव-इतिहासका जव एक नवीन अध्याय वन रहा है और जव हमे एक नवीन समाज-रचना निर्माण करनी है तव यह युवकोका ही काम है कि यशस्विताके साथ इस भारको उठा ले । इस नये कार्यमे यौवनसुलभ बल, साही, त्याग और बुद्धिमत्ताकी आवश्यकता है । बुद्धिमत्ता विविध मानव-अनुभवोसे ही प्राप्त होती है । इसे छोड़ अन्य १. लखनऊ रेडियोसे ता० १-३-४८ को दिया हुमा भाषण ।