पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/३५३

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३३८ राष्ट्रीयता और समाजवाद वास्तविकताका सामना करनेसे धवराते है तथा सुदूर अवनिमे अपना मुंह छिपाते है । हमारे दुर्भाग्यसे हमारे देशमे जो साम्प्रदायिक कलह प्रारम्भ हो गया है वह हमारे कार्यको और भी दुष्कर कर देता है । जनताका ध्यान मौलिक प्रश्नोसे हट कर गीण प्रश्नोकी ओर चला जाता है और इस विपाक्त तथा दूपित वातावरणमे जीवनके समाजिक मूल्य और नैतिकता भी नष्ट हो जाते है । विद्वेपकी इस अग्निको बुझाना शिक्षितोंका काम है । इससे भी अधिक आवश्यकता है उन उच्च मान्यताप्रोकी रक्षा करना जिनके पाधारपर ही एक सुदृढ और जन-तन्त्रात्मक राष्ट्रकी रचना हो सकती है । यदि हमारे नवयुवकोका, जिनके हाथमे नेतृत्व प्रानेवाला है, जीवनके मूल्योके प्रति आदरभाव नही होगा तो इस देशका भविष्य आशाप्रद नही हो सकता। प्रत्येकको अपने दिलको टटोलना है और आत्म- समीक्षा करनी है। हमे. सन्देह नहीं कि हमको अपने राष्ट्रको सवल बनाना है, इतना सुदृढ बनाना है कि उसका कोई वाल वाँका न कर सके । किन्तु यह इसलिए जिसमे एक स्वस्थ, सुसस्कृत समाज चिरकालतक मानवताका निरन्तर विकास कर सके । अत. जहाँ हमारे नवयुवकोको सैनिक-शिक्षा लेकर अपनेको देश-रक्षाके कार्यके लिए उपयुक्त बनाना है वहाँ उनको अपने समाजकी अवस्थाका अध्ययन कर अपनी समस्याओका समाधान करनेकी योग्यता भी अपनेमे प्रतिपादित करनी है । इस युगमे सफलताको कुञ्जी अात्मसंयम साहस और सद्बुद्धिमे है । हमारी अर्थनीति इतनी पुरानी पड गयी है कि आज वह हमारी उन्नतिमे बाधक हो रही है । आर्थिक और सामाजिक विपमताके कारण हमारा समाज छिन्न-भिन्न हो रहा है । कठोर वर्णव्यवस्था, अस्पृश्यता, दरिद्रता और निरक्षरता हमारे समाजके अभिशाप है । नवयुवकोको परस्परके भेद-भावको मिटाना है तथा आर्थिक सगठनमे क्रान्तिकारी परिवर्तन कर देशकी दरिद्रता और वेकारीको दूर करना है। पुनः लोकतन्त्रकी भावनाको पुष्ट करनेके लिए सहकारिताका आन्दोलन अत्यन्त आवश्यक है । लोकतन्त्रके हम अभ्यस्त नही हैं और इसीलिए अभी इसकी परम्परा भी प्रतिष्ठित नही हुई है। अत परस्पर सहयोगकी भावनाको पुष्ट कर हम लोकतन्त्रको स्थायी बना सकते है तथा गाँवोमे एक नवीन जीवनका संचार कर सकते है । यह सब समाज-सेवाके काम नवयुवकोको करने है । यह तभी सम्भव है जव जीवनका कोई गम्भीर उद्देश्य हो और जनताकी हमारी दृष्टिमे प्रधानता हो । प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र-निर्माणके कार्यमे अपनी योग्यताके अनुसार भाग ले सकता है । यदि हम अपने उज्ज्वल भविष्यमे निप्ठा रखते हैं और इस बातका ज्ञान रखते है कि अपने देशके भाग्यके निर्माणमे हमारा क्या दान हो सकता है तभी हमको कार्य करनेका उत्साह मिल सकता है। नवयुवकोमे काम करनेकी अपूर्व शक्ति, उत्साह और साहस होता है । इसके साथ-साथ यदि सामाजिक आवश्यकताओंका ज्ञान भी हो और लक्ष्य हो तो हमारे नवयुवक अाजकी कठिनाइयोका सामना कर सकते है । मुझे आशा है कि हमारे स्नातक एक नवीन दृष्टि और एक नवीन विचार-पद्धतिको लेकर जीवन मे प्रवेश करेगे । मै जानता हूँ कि उनका पथ कंटकाकीर्ण है, उनको वनकटी करना है, उनको एक नूतन समाजकी रचना करनी है और उनके साधन और उपकरण स्वल्प और अपर्याप्त है । किन्तु यदि उनकी दृढ़ निष्ठा है और वह सत्संकल्पको लेकर अध्यवसायके