पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/४११

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३९८ राष्ट्रीयता और समाजवाद हो गया। भारतमे खिलाफतका जो आन्दोलन हुआ, उसने मुस्लिम राष्ट्रोको अत्यन्त प्रभावित किया । आथिक मन्दीका असर तीसरी घटना विश्वव्यापी अार्थिक मन्दी ( Economic Depression ) की है । यह सन् १९२६ मे अमेरिकासे शुरू हुई और बहुत जल्द ससार भरमे फैल गयी । उपनिवेशो तथा पराधीन देशोमे इसका और भी बुरा प्रभाव पड़ा, क्योकि साम्राज्योंने अपने सकटको इनपर टालनेका प्रयत्न किया । इससे जनता क्षध हुई और क्रान्तिकी लहर कई जगहोमें फिर उठी । सन् १९३० मे भारतमे नमक-त्याग्रहका जो अान्दोलन हुअा वह भी इसीका फल था। इस समय मित्र तथा अरवके कुछ देशोमे भी थोड़ा-बहुत आन्दोलन हुआ । फिलिस्तीनमें तो अरवोने दण्डीयात्राका अनुकरण किया । आन्दोलनका ध्येय ब्रिटिश मालका बहिष्कार भी था। सन् १९३० मे चीनमे भी कुछ प्रयास हुआ था, पर परिस्थिति किसी विराट् आन्दोलनके अनुकूल न थी। सच तो यह है कि इन घटनाअोसे प्रत्येक देश उतना ही लाभ उठा सकता है, जितना कि उसकी निजी तैयारी उसको उठाने देती है । संसारव्यापी वर्तमान युद्ध चौथी बड़ी घटना संसारव्यापी युद्ध है जो अभी समाप्त हुआ है । युद्धकी समाप्तिपर ही प्राय. क्रान्तियाँ होती है। छोटे-छोटे देशोके लिए तो और भी कठिनाई होती है । भारतमे काग्रेस सन् १९२७ से ही युद्धके खतरेकी ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करती आयी है । त्रिपुरी कांग्रेसमे देशको तैयार करनेका भी प्रस्ताव पास हुआ, यद्यपि इस दिशामे कुछ किया नही गया । सन् ४२ का आन्दोलन सन् ४२ मे जो स्थिति थी उसमे सत्याग्रह-संग्रामके लिए उपयुक्त वातावरण था। सन् १९४२ का आन्दोलन सब पिछले आन्दोलनोसे बढ चढकर हुआ । यदि यह आन्दोलन न होता तो भारतका राजनीतिक जीवन विलकुल शिथिल पड़ जाता ओर हम राजनीतिक दौड़मे पीछे पड़ जाते । इस आन्दोलनके द्वारा भारतवर्ष एशियाकी स्वतन्त्रताका प्रतीक बन गया और भारतका प्रश्न संसारके मानचित्रपर आ गया। इस आन्दोलनसे हमारी राजनीतिक चेतना प्रबल रूपसे जमी, किन्तु यदि हम सावधानीसे कामन लेगे, तो जो कुछ हमने कमाया है, उसे भी खो देगे। अंग्रेज राजनीतिज्ञोंकी हरकते अग्रेज राजनीतिज्ञोकी कोशिश हमको हर तरहसे कमजोर करनेकी है। पाकिस्तान और देशी राज्योको अक्षुण्ण करनेका प्रयत्न इसके प्रमाण है । वह एक ऐसा विधान चाहते है, जिसमे स्थिर और न्यस्त स्वार्थोका बोलबाला हो और जिसमे उन्नतिशील शक्तियोको बहुत कम अवसर मिले । जो अवस्था मिस्रकी १९२२ मे थी, वही अवस्था यह हमारी भी करना चाहते है । वह नाममात्रको हमे स्वाधीनता देना चाहते है । इस उद्देश्यकी पूर्ति के लिए तरह-तरहकी चाले चली जा रही है । हमको यह न भूलना चाहिये कि मिस्रमे