४०६ 1 राष्ट्रीयता और समाजवाद यह कहना सत्य है कि नये आविष्कारों और विज्ञानके तथ्योको गुप्त नही रखना चाहिये, उन्हे प्रकाशित कर देना चाहिये । उनका यह भी कथन ठीक है कि ऐसी विद्याका ही प्रचार हो जो शिव है, जो समाजका कल्याण करती है । युद्धके लिए, मनुप्य जातिके संहारके लिए, सभ्यता-शालीनताको विनष्ट या कलुपित करनेके लिए विज्ञानका उपयोग नही होना चाहिये । इस प्रश्नको पेरिस-कान्फरेसमे प्रथम स्थान देना चाहिये था, किन्तु हमारी बातपर राजनीतिज हँसेगे। आज वह भले ही हँस ले, पर वह समय दूर नही है जब उनको रोना पड़ेगा। यदि केवल थोड़ेसे व्यक्तियोकी बात होती तो हमको विशेष चिन्ता नही होती, किन्तु मुट्ठीभर राजनीतिज्ञोंकी मूर्खताऔर दुष्टताके कारण सारे समाज- को रोना पड़ेगा । हम प्रभावक्षेत्रोके बनानेके विरुद्ध है और हरजानाके दिलानेके भी पक्षों हम नही है, विशेषकर ऐसी अवस्थामे जव कि पराजित राष्ट्र भूखो मर रहे है । नाजियोंको दण्ड देना चाहिये, उनके प्रभावको नष्ट कर देना भी आवश्यक है, किन्तु समस्त जातिको दण्ड देना कहाँका न्याय है ? लोगोको अपने देशसे वहिप्कृत करना और उनसे गुलामोकी तरह काम लेना कहाँतक उचित है ? जर्मनीको वरवाद कर, उसकी आर्थिक पद्धतिको छिन्न-भिन्नकर उसके टुकड़े-टुकडेकर यूरोप सुखकी नीद नही सो सकेगा। आज वह जमाना नही रहा जव दूसरोको दुखी कर कोई देश सुखी हो सके । यूरोपकी समृद्धि जर्मनी- की समृद्धिपर निर्भर है। यह कोई कल्पना नहीं है और न कोई आदर्शवादिता ही है। यह स्थूल सत्य है । सारा ससार एक हो रहा है। एक अंगका फोड़ा सारे शरीरको विकल कर देता है । इंगलैण्डकी मजदूर-सरकारकी वैदेशिक नीति टोरियोकी नीतिसे विशेष भिन्न नही है । ग्रीसमे किस प्रकार प्रजातन्त्रका गला घोटा गया और पुराने राजवंशको गद्दीपर विठाया गया, यह हमसे छिपा नही है । राजाके वापस आ जानेसे सन् १९३६ का जमाना जब प्रतिक्रियाका बोलवाला था, फिरसे वापिस आ सकता है। यह भी है कि इंगलैण्ड अपने साम्राज्यकी रक्षाके लिए अमेरिकाका पुछल्ला बन रहा है । अमेरिका आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड की रक्षाके लिए पैसिफिकमे रूसको वढने नही देता । अमेरिकाके हितके लिए इगलैण्ड, लेवैण्ट ( Levant ) और मध्यपूर्वकी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेता है । इगलैण्डकी औपनिवेशिक नीति भी प्रगतिशील नही है । रगका भेद आज भी किया जा रहा है जब कि सरकार सोशलिस्ट कहलाती है। पुरानी नीति और परम्पराका परित्याग किये बिना अाजकी समस्यानोका हल नही हो सकता। दोनो दल एक दूसरेसे भयभीत है और इसलिए युद्धकी तैयारीमे लगे है । दोनों अपनी रक्षाकी व्यवस्था कर रहे है । यदि इंगलैण्ड और अमेरिका पश्चिमी राष्ट्रोका गुट बना रहे है, तो रूस पूर्वी यूरोपको अपने अधीन कर चुका है । वह चाहता है कि उत्तरमें फिनलैण्डसे लेकर नीचे तुर्की-सीरियाकी सीमातक पश्चिमी ब्लाकके विरुद्ध एक बाँध खडाकर दिया जाय ताकि पूँजीवादी प्रभाव प्रवेश न कर सके । प्रत्येक देश इसी उद्योगमे लगा है। प्रत्येक पक्ष अपने लिए सबसे अधिक लेना चाहता है और दूसरेको सवसे कम देना चाहता है । इसलिए रूस डार्डनेल्ससे पश्चिमी ब्लाकको अलग रखना
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