३२ राष्ट्रीयता पीर ममाजवाद मामूहिक रूपम या व्यक्तिगत रूपसे सत्याग्रह करनेके लिए उपयुक्त वायुमण्डलका प्रभाव है, तो उन्होने मत्याग्रह प्रारम्भ करनेका विचार स्थगित कर दिया । बारडोलीके हम निश्चयसे काग्नेमको वहुत धक्का पहुँचा । लोगोकी ग्राणाएँ भग्न हो गयी । चारी पोर निराणा और निरत्माहके चिह्न दिखलायी पड़ने लंगे । अखिल भारतवर्षीय काग्रेस कमटीने अपने दिलीके अधिवेशनमे २०-२५ फरवरी १९२२को कुछ आवश्यका सभोधनौके माथ बारटोलीके प्रस्तावको ग्वीकार किया । वैयक्तिक रपमे सत्याग्रह प्रारम्भ करनेका अधिकार प्रान्तोको दे दिया गया और यह भी निश्चय किया गया कि विदेशी वस्त्रकी दूकानोपर गान्तिमय धरना दिया जा सकता है। वारसोलीके निश्चयमे बहुतसे लोगोका यह विचार हो गया था कि काग्रेसने सदाके लिए सामूहिक सत्याग्रहका विचार स्थगित कर दिया है । इसलिए अखिल भारतवर्षीय काग्रेस कमेटीने अपना यह विचार प्रकट किया कि काग्रेसने असहयोगके मूल कार्यक्रमको सदाके लिए स्थगित नहीं कर दिया है और यह याशा प्रकट की कि यदि काग्रेसके कार्यकर्ता अनन्यमनस्य होकर रचनात्मक कार्यक्रमको सफल बनानेकी चेप्टा करें तो मामूहिक सत्याग्रहके लिए भी उपयुक्त वायुमण्डल पैदा किया जा मकता है । इस निश्चयके कुछ दिनो वाद ही महात्माजी गिरफ्तार कर लिये गये पीर १८ मार्चको उन्हें ६ वर्पक कागवासका दण्ड दे दिया गया। मरकारकी दमन-नीतिके कारण लोग यह चाहते थे कि किसी न किसी रूपमें सत्याग्रह प्रारम्भ करनेकी आज्ञा दी जाय, उमलिए यम विपयपर विचार करनेके लिए काग्रेस कमेटीकी एक वैटक जूनमे लखनऊम हुई थी। कमेटीने ममापनिको यह अधिकार दिया कि वे कुछ सज्जनोको देशमे धूमकर देणकी स्थितिके सम्बन्धमे अपनी रिपोर्ट देनेके लिए नियुक्त करे । सत्याग्रहके प्रश्नको अगली वैठकके लिए स्थगित कर दिया। नवम्बरकी वैठकम रिपोर्टपर विचारकर कमेटीने निश्चय किया कि देश इस समय सामान्य रूपमे सामूहिक सत्याग्रह प्रारम्भ करनेकी योग्यता नहीं रखता; किन्तु यह बात ध्यानमे रखते हुए कि ऐसी अवस्था उपस्थित हो सकती है जब परिठिन रूपमें सामूहिक सत्याग्रहकी अावश्यकता पड़े और लोग उसके लिए तैयार भी हो, कमेटी प्रान्तीय कमेटियोको अपनी जिम्मेवारीपर ऐसे सत्याग्रहके प्रारम्भ करनेका अधिकार देती है यदि वे मव गर्ते पूरी की गयी हो जिनका उल्लेख कमेटीके पूर्व-निश्चयोम किया जा चुका है। इस समय कमेटीके विचारार्थ यह प्रश्न भी उपस्थित किया गया था कि काग्रेसके सदस्योको कोसिलके अगले चुनावमें भाग लेना चाहिये या नहीं, पर कमेटीने इसका निश्चय गया-काग्रेमपर छोड दिया। इस समय काग्रेसमें दो दल हो गये थे। एक दलका यह मत था कि कोमिलोमे जाकर प्रतिबन्ध-नीतिका निरन्तर अनु- मरणकर कौसिलोके कार्यको बन्द कर देना चाहिये । यह दल इस कार्य-प्रणालीको असह- योगका एक रूप मममता था। इस दलके प्रमुख नेता देशवन्धु चित्तरंजनदास और पण्डित मोतीलाल नेहन थे। इस दलमे वे सब लोग शामिल थे जो कोसिलोके वहिप्कारके शुल्से ही पक्षमे न थे। स्वय देणवन्धुने नागपुरकी कांग्रेसमें अहिंसात्मक असहयोगके कार्यक्रमका विरोध किया था। विशेषकर वे कौसिलोके बहिष्कारके पक्षमें न थे। यह सच है कि वे कोसिलोमे जाकर सरकारसे सहयोग करना नहीं चाहते थे, पर उनका
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