फासिज्मका वास्तविक रूप फ्रांस, बेलजियम, स्वीडन आदि देशोमे भी इसी प्रकारके संगठन पाये जाते है । सयुक्तराष्ट्र अमेरिकामे रूजवेल्टकी योजना धीरे-धीरे फासिज्मके लिए जमीन तैयार कर रही है । जर्मनीका नात्सी दल इन नवीन विचारोकी सफलता देश और कालपर निर्भर करती है । यह छोटे-छोटे समुदाय वहुत दिनोतक इसी अवस्थामे रह सकते है, पर यदि आर्थिक और सामाजिक अवस्था फासिज्मके अनुकूल हुई, समाजवादी जनताके विश्वासपात्र न रहे तथा जनता मे एक राष्ट्रवादी अधिनायककी चाह पैदा हुई तो यह छोटे-छोटे समुदाय एक वृहत् दलके प्रारम्भ बन सकेगे। यह प्रतिक्रिया बहुत दिनोतक चल सकती है, यद्यपि यह भी असन्दिग्ध है कि इसका अन्त समाजवाद करेगा । जर्मनीके फासिस्ट वहुत मजबूत है । उनके पास केवल राज- शक्तिके ही सव साधन नही है, किन्तु प्रचारके भी सव साधन है-छापाखाना, कला, विज्ञान, सब तरहके क्लव, एसोसियेशन, आर्थिक और सामाजिक संगठन, चर्च इत्यादि । सक्षेपमे, समस्त राजनीतिक तथा बौद्धिक जीवनके संगठित रूप, फासिस्ट पार्टीको मजबूत बनानेके काममे जान-बूझकर वेदर्दी से लगाये जाते है । अन्य दलोका अन्त कर दिया गया है । जनताके पास सगठनके जो साधन थे वह भी छीन लिये गये हैं । उनका सामूहिक जीवन छिन्न-भिन्न कर दिया गया है । फासिस्ट स्टेटमे मजदूरोको संभ्रम समुत्थानका अधिकार नही है। मजदूरोका कोई स्वतन्त्र सगठन नही है । जिन मजदूर सगठनोको इजाजत दे रखी है उनमे मजदूरोंको फासिस्टोने परस्पर सलाह करनेकी स्वतन्त्रता नही दी है और यह संगठन मजदूरोके नियन्त्रण या प्रभावमे नही है । मजदूरोको केवल चन्दा देना पडता है । फासिस्ट पूंजीपतियोसे कामके बारेमे शर्ते तय करते है और पीछे यह घोषणा करते है कि यह तसफिया मजदूरोके हितमे किया गया है । ऐसी हालतमे जवतक एक काफी सुदृढ और अनुभवी सगठन प्रस्तुत न होगा तबतक फासिस्ट शासनका सफल विरोध जर्मनीमें नही हो सकेगा। इसके अतिरिक्त आक्रमणका सुअवसर तभी प्राप्त होगा जव फासिस्ट शासन आन्तरिक तथा बाह्य कठिनाइयोके कारण काफी दुर्वल हो जायगा और जनता उसके विरुद्ध हो जायगी। संकटके समय अवश्य आवेगे, वेकारीके घटानेकी जो चेप्टा फासिस्ट कर रहे है उससे स्थायी रूपसे वेकारी दूर हो सकती है । यदि विदेशी मामलोमे फासिस्ट स्टेटको दिक्कते पड़े तो एक महान् सकट उपस्थित हो सकता है। किन्तु इसका उपयोग तभी हो सकता है जव जर्मनीके समाजवादी और कम्युनिस्ट कार्यकुशलताका परिचय दे और अपनी एक नीति निर्धारित कर समवेत रूपसे कार्य करना प्रारम्भ कर दे । फासिज्मका विकास फासिस्ट आन्दोलनके अभ्युत्थानके लिए परिस्थिति अनुकूल थी। ससारके सब भागोमे आर्थिक जीवन अस्तव्यस्त था, राजनीतिक तथा आर्थिक गुटोका सघर्प तीव्र हो रहा था। राजनीति और व्यापारमे पाप-बुद्धि बहुत बढ़ गयी थी। मजदूरी गिरती जाती थी।
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