भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनका इतिहास ४६. श्रमजीवी २. (क) आर्थिक सगठन न्यायके सिद्धान्तोके अनुकूल होगा जिसमे सबलोग अच्छे दर्जेका जीवन व्यतीत कर सके। (ख) उद्योग-धन्धोमे काम करनेवाले मजदूरोके हितोकी रक्षा राज्य करेगा और उन्हे उपयुक्त कानून तथा अन्य उपायोद्वारा पर्याप्त मजदूरी, काम करनेकी स्वास्थ्यकर परिस्थिति, परिश्रमके लिए परिमित घण्टे और मालिक और मजदूरोके झगड़ोको तय करनेके लिए उपयुक्त साधन प्राप्त करानेका बन्दोबस्त करेगा तथा वृद्धावस्था, बीमारी और वेकारीसे सहायता दिलानेका प्रवन्ध भी राज्यकी ओरसे होगा। ३. गुलामी या गुलामीके समानकी अवस्थासे मजदूरोको स्वतन्त्र करना । ४. स्त्री श्रमिकोकी रक्षा और प्रसवकालम अवकाशका काफी प्रवन्ध रहेगा। ५. पाठशालायोमे पढ़ने योग्य उम्रके वच्चोसे खानो और कारखानोमें काम न लिया जायगा। ६. किसानों और मजदूरोको अपने हितोकी रक्षाके लिए सघ कायम करनेका अधिकार होगा। कर और व्यय ७. भूमि-करकी प्रणालीमे सुधार किया जायगा और वर्तमान लगान और मालगुजारी- में काफी कमी कर और अलाभकर भूमिका लगान कुछ कालके लिए विलकुल माफ करके वर्तमान बोझको यथार्थ रूपमें हलका कर दिया जायगा। निर्धारित रकमसे जमीनकी अधिक आय होनेपर आय-कर भी लिया जायगा । ८. एक निश्चित रकमसे अधिककी जायदादपर क्रमागत विरासत कर लिया जायगा। ६. सेनाका खर्च इस समयकी अपेक्षा कमसे कम प्राधा कर दिया जायगा । १०. गैर फौजी महकमोका खर्च और उनके कर्मचारियोका वेतन बहुत घटा दिया जायगा । विशेषज्ञो या इसी प्रकारके अन्य कर्मचारियोको छोड़कर अन्य कर्मचारियोका वेतन ५००) रु० मासिकसे अधिक न होगा। ११. भारतमें बननेवाले नमकपर कर न लगेगा। आथिक तथा सामाजिक योजना १२. देशके वस्त्र-व्यवसायकी राज्य रक्षा करेगा और इस गरजसे विदेशी वस्त्र और विदेशी सूतका आना रोक देगा तथा अन्य आवश्यक उपायोको काममें लावेगा। विदेशी प्रतियोगितासे राज्य अन्य देशी व्यवसायोका भी सरक्षण करेगा। १३. औपधके कामके सिवा अन्य सब प्रकारके उपयोगके लिए मादक द्रव्योका सर्वथा निषेध रहेगा। १४. विनिमय तथा मुद्रा-नीतिका नियन्त्रण राष्ट्रके लाभके विचारसे होगा । १५. आधारभूत उद्योग-व्यवसाय विभाग, खान, रेल, जलमार्ग, जहाज तथा सार्वजनिक गमनागमनके अन्य साधनोपर राज्यका अधिकार होगा। ४
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