पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/७८

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अभिभापण ६५ दवानेकी कोशिश की है जो हमारे दुर्भाग्यसे गत वर्ष अपने प्रान्तमे प्रज्वलित हो उठी थी। उस समय सारे देगके सामने हमको अपना सिर लज्जासे झुका लेना पड़ता था। बङ्गालको इससे अवश्य प्रसन्नता हुई थी कि देशमे उसका भी साथ देनेवाला पैदा हो गया है और वह अपने अकेलेपनके दु.खको थोडी देरके लिए भूल गया था । हमको अव भी काफी सतर्क रहनेकी जरूरत है, क्योकि कभी-कभी हम देखते है कि राखके ढेरको कुरेदनेकी कोशिश की जाती है। इसके अतिरिक्त द्वेपका बीज सर्वथा विदग्ध नही हुआ है। हमको द्वेपके कारणोका अन्वेपण करना चाहिये और यथासम्भव इस वातका प्रयत्न करना चाहिये कि हम अपने तुच्छ झगड़ोको भुला दे और परस्परके वैमनस्यको दूर कर दे । छोटी-छोटी बातोको हम महत्व देकर प्राय वातका बतंगड वना देते है । मैं मानता हूँ कि छोटी-छोटी बाते हमेशा सारहीन नही होती और कभी-कभी उनकी उपेक्षा करते नहीं बन पडता । फिर भी आपसमे झगडनेका एक समय होता है और उस झगडनेकी भी एक मर्यादा होती है । हम काग्रेसवादियोको इस विषयमे सदा जागरूक और सतर्क रहनेकी जरूरत है, क्योकि हमारी सबसे बडी शक्ति और हमारा एकमात्र आधार हमारा सुव्यवस्थित सगठन ही है। हमारा सगठन जितना दृढ होगा, हम जितना अधिक एक अनुशासनके सूत्रमे अपनेको आवद्ध समझेगे उतना ही अधिक अपने विरोधियोपर विजय पानेमे हम समर्थ होगे । हम एक महान व्रतके व्रती है । हम केवल एक राजनीतिक दलके सदस्यकी हो हैसियत नहीं रखते, वल्कि हम देशकी परतन्त्रता दूर कर एक नूतन समाजकी नीव डालना चाहते है । हमारा काम केवल साम्राज्यवादके शोषणका ही अन्त करना नहीं है, बल्कि साथ-साथ देशके उन सभी वर्गोके शोपणका अन्त करना है जो आज जनताका गोपण कर रहे है । हम एक ऐसी नयी सभ्यताका निर्माण करना चाहते है जिसका मूल प्राचीन सभ्यताम होगा, जिसका रूप-रंग देशी होगा, जिसमें पुरातन सभ्यताके उत्कृष्ट अश सुरक्षित रहेगे और साथ-साथ उसमे ऐसे नवीन अशोका भी समावेश होगा जो आज जगत्मे प्रगतिशील है और ससारके सामने एक नवीन आदर्श उपस्थित करना चाहते है । हमारा कार्य इतना व्यापक है, हमारा उद्देश्य इतना ऊँचा और उत्कृष्ट है कि हम किसी प्रकार भी छोटी-छोटी बातोमे पडकर अपनी शक्तिका अपव्यय नही कर सकते। हमको तो उन बहुतसी बातोकी तरफ निगाह उठाकर भी नही देखना चाहिये जो आज हमको अपने मायाजालमे फाँसना चाहती है । हमको अपने विशाल लक्ष्यका ध्यानकर इन छोटी वातोसे मुंह मोड़ना पड़ेगा और अपने लोभका सवरण करना पड़ेगा। यदि वास्तवमे हम अपने कार्यका ऐसा ही स्वरूप समझते है तो हमको उसके अनुरूप अपने आचरणको वनाना पड़ेगा। हमको अपना कार्य सुसम्पन्न करनेके लिए एक ऐसा सुसगठित दल तैयार करना होगा जिसके सदस्य अपने उद्देश्यों तथा अपनी कार्यप्रणालीका स्पष्ट ज्ञान रखते हो, जिसमे अनुशासन हो और जिसके नेता दूरदर्शी, कार्यकुशल और नवीन युगकी विशेपतानो और आवश्यकताअोसे अभिज्ञ हो । अपने घरको दुरुस्त करनेके लिए सबसे पहला काम जो हमे करना है वह आत्म- ५