पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/७९

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राष्ट्रीयता और समाजवाद समीक्षाका है । सव उन्नतिका मूल इसीमें निहित है । मनुप्यको अपने कार्यका सतत निरीक्षण करते रहना चाहिये । जहाँ भूल मालूम पड़े उसे सुधार लेना बुद्धिमानीका काम है। यह समझते रहना कि हमने कोई भूल नही की है यात्म-वंचना मात्र है । इस मनोवृत्तिसे उन्नतिका क्रम स्क जाता है । इसलिए हमको वारम्बार विचार करना चाहिये कि हमारी अवतककी चेप्टाएँ क्यो विफल हुई । यदि हमारी कार्य-प्रणालीमे कोई त्रुटि है तो उसे दूर करनेका उद्योग होना चाहिये । यदि सगठनमें कुछ परिवर्तन करना आवश्यक है तो उसके लिए तैयार हो जाना चाहिये । हमको अपने सगठनको दृढ वनाना होगा । हमारे सगठनका आधार जितना ही विस्तृत होगा उतना ही अधिक यह शक्ति-सम्पन्न होगा । हमको साम्राज्यविरोधी सग्राममे किसान और मजदूरोको विपुल सख्यामे सम्मिलित करना होगा । इसी दृष्टिसे काग्रेसने गत अधिवेशनमे जनतासे सम्पर्क (मास कटैक्ट) स्थापित करनेका प्रस्ताव स्वीकार किया था। उसको कार्यान्वित करना हमारा काम है । अवतक काग्रेसके सदस्य वर्पमे केवल एकवार प्रतिनिधियोके चुनावके लिए एकन होते है । उसी समय हम उनके सम्पर्कमे पाते है । बाकी सालभर हमारा उनसे कोई सम्बन्ध नही रहता । हम उनमे चेतना उत्पन्न करनेकी कोई चेष्टा नही करते । उनके दैनिक जीवनसे हमारा कोई सम्बन्ध नहीं रहता। हमको चाहिये कि हम उनके दैनिक जीवनमे प्रवेश करे। उनके आर्थिक कष्टोको दूर करनेके लिए उन्हे सगठित करें तथा इस कार्यमे उनको हर प्रकारकी सहायता प्रदान करे । इसी तरह हम जनताके साथ गहरा सम्बन्ध स्थापित कर सकते है । जनताके दैनिक जीवनके आर्थिक सघर्पको साम्राज्य- विरोधी संग्रामसे सम्बन्धित करनेसे ही जनता राष्ट्रीय ग्रान्दोलनमे सजीव भाग लेनेको तैयार हो सकती है। किसान और मजदूर यह देशके दो ऐसे वहुसख्यक वर्ग है जो इस सग्रामके प्रमुख सैनिक है । इनका सगठित होना अत्यन्त आवश्यक है । किसान और मजदूर अपनी-अपनी जमाअतमे ही संगठित हो सकते है। इनकी स्वतन्त्र सस्थाएँ होना आवश्यक है । प्रान्तमे जो किसान और मजदूर संघ मौजूद है उनके कार्यमे शरीक होना हमारा कर्तव्य है। इन सस्थाअोके साथ काग्रेसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध होना चाहिये । मजदूर और किसान सघके सदस्योको काग्रेसमे अपने प्रतिनिधि भेजनेका अधिकार प्राप्त होना चाहिये। केवल इसलिए नही कि काग्रेसके सम्मुख उनका दृष्टिकोण रखा जा सके, वरन् इसलिए कि वह काग्रेसके निर्णयोको अधिकाधिक प्रभावित कर सकें। काग्रेसके सदस्यकी हैसियतसे नही, बल्कि अपनी सस्थायोके प्रतिनिधिकी हैसियतसे ही वह यह काम कर सकते है । काग्रेसका कार्य सुचारु रूपसे चलानेके लिए हमको राष्ट्र-कर्मीसघ (नैशनल सर्विस) की आवश्यकता है। हमारे देशको ऐसे कार्यकर्ता चाहिये जो अपना सारा समय राजनीतिक कार्यमे व्यय करे। इनके बिना हमारा काम नही चल सकता। इसकी यदि सुव्यवस्था करनी है तो यह तभी सम्भव है जब हम उनकी जीविकाकी फिक्र करे । हमारे प्रान्तमे कई वर्पतक नैशनल सर्विसको आयोजना थी, किन्तु कुछ समयसे अर्थाभावके कारण हमको