पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/११६

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"( दिल्लीश्वर अनंगपाल तोमर की कन्या कमला और अजमेर नरेश सोमेश्वर के विवाह के ) कुछ दिनों बाद रानी को गर्भ रहा जिसकी कला भाद्र मास में मेघों का दल, शुक्ल पक्ष प्रतिदिन उसी प्रकार बढ़ी जैसे में चन्द्रकला अथवा प्रियतम से मिलन पर प्रति क्षण सुग्धा सुन्दरी का यौन बढ़ता है । शुभ गर्भं शरीर में उसी प्रकार बढ़ा जैसे पूर्णिमा में सागर बढ़ता है। गर्भिणी पर जैसे-जैसे ज्योति चढ़ती जाती थी वैसे-वैसे ही पति और पत्नी के हृदय हुलसित हो रहे थे । अनंगपाल तोमर की पुत्री और सोमेश्वर की गृहिणी ने क्षत्रियों के दानव कुल वाले पृथ्वीराज को धारण किया। गंधपुर में ढूंढा के वरदान से सोमेश्वर के प्रथम पुत्र का जन्म स्मरण कर गन्धर्वों ने पुष्पांजलि डाली, ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चारण किया, सिद्धों ने अर्द्ध रात्रि में बालक का सिर स्पर्श किया और आकाश में घनघोर शब्द 'उसके जीवन में युद्ध और विजय का घोष किया । एक सौ सूरमा भी साथ ही आये तथा चंद भट्ट कीर्ति कथन हेतु जन्मा....। ३ तपस्विनी वाला का श्राप वीसलदेव ने सिर पर धारण किया और तीन सौ वर्ष तक दिल्ली के समीप की गुफा में समाधि लगाई....; जिस दिन पृथ्वीराज ने जन्म लिया उस दिन अनंत दान दिये गये तथा कन्नौज, ग़ज़नी और हलवाड़ा पट्टन में रणचंडी किलकिला उठी । जिस दिन पृथ्वीराज का जन्म हुआ कन्नौज में बात फैल गई, गज्जनपुर भंग हो गया, मृत्यु ने भरपेट भोजन किया, पृथ्वी का भार उतर कीर्ति प्रशस्त हो गई ।" पृथ्वीपति अनंगपाल ने ज्योतिषी व्यास को अपनी पुत्री के पुत्र की जन्म लग्न पर विचारार्थं बुलाया | उसने कहा कि ( बालक ) चारों चक्रों ( दिशाओं ) में अपना नाम चलायेगा....कलिकाल में यह अनेक युद्ध करने वाला सौ भृत्यों सहित दैत्यों ( म्लेच्छों ) से भिड़ेगा । दिल्ली के कारण ही यह अपूर्व अवतार ( जन्म ) हुआ है । " पुत्री के पुत्रोत्सव में राजा ने अनेक दान दिये और (सबका ) घना सत्कार किया । घर-घर घमार गाये गये ( ऐसा हर्ष का साम्राज्य बिखर गया मानो सर्प को मणि मिल गई हो । (कन्नौज में जयचन्द्र ) की माता ने अपनी साँभर बाली बहिन के पुत्र का जन्म सुनकर सुवर्ण, व और थाल सहित ब्राह्मण भेजा, परिवार वालों को पहिरावे दिये, ब्राह्मणों


( १ ) छं० ६८४; (२) छं० ६८५; ( ३ ) छं० ६८६; ( ४ ) छं० ६८७ ;(५ )छं० ६८८;(६) छं० ६८९ ।