पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/२२०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( २१० )

रचित 'खरतरगच्छुपावली' के आधार पर सं० १२२३ वि० के दिल्ली के राजा मदनपाल और अनंगपाल नाम एक ही व्यक्ति के स्वीकार करते हुए लिखते हैं---'जब कि उपरोक्त प्रमाणों से और लोक प्रसिद्धि से अनंगपाल तँबर का उस समय होना सिद्ध होता है तो उसकी पुत्री कमला से पृथ्वीराज के पिता सोमेश्वर का विवाह होने में कोई शंका नहीं होनी चाहिये और बहु विवाह की प्रथा होने से कपूरदेवी भी सोमेश्वर की रानी रही हो और विमाता होने से उसको भी पृथ्वीराज की माता लिखा गया हो यह संभव है। पृथ्वीराज विषयक अन्य पुस्तकादि ( पृथ्वीराजविजय और हम्मीरमहाकाव्य ) में लिखे गये उसके जीवन वृत्तान्त पर खूब सोचने से पृथ्वीराज का जन्म रासौ में लिखे अनुसार सं० १२८५-६ में होना ही मानना पड़ता है। परन्तु विद्वानों (जो ) ने सोमेश्वर का विवाह कर्पूरदेवी के साथ वि० सं० १२१८ के बाद होना माना है अत: पृथ्वीराज का कर्पूर- देवी के गर्भ से उत्पन्न होना संभव नहीं है[१] "

समरसिंह या सामंतसिंह

रासो की ऐतिहासिकता की परीक्षा के लिये हर्षनाथ के मन्दिर की प्रशस्ति, बिजोलियाँ का शिलालेख, पृथ्वीराजविजय, प्रवन्धकोष, हम्मीरमहा- काव्य और सुर्जनचरित्र आदि प्रमाण सादर में लाये जाने वालों में से किसी में भी पृथ्वीराज की बहिन का उल्लेख नहीं मिलता है। रासो के अनुसार दिल्ली के अनंगपाल तोमर की कन्या कमला और अजमेर-नरेश सोमेश्वर के विवाह से उत्पन्न पृथा, पृथ्वीराज की सगी बहिन थी, जिसका विवाह चित्तौड़ के रावल समरसिंह के साथ हुआ था[२] :

चित्रकोट रावर नरिंद। सा सिंघ तुल्य बल ॥
सोसेसर संभरिय । राव मानिक सुभरग कुल ॥
मुघ मंत्री कैमास । पनि अवलंबन मंडिय।
मास जेठ तेरसि सु मधि । ऐन उत्तर दिसि हिंडिय ॥
सुक्रवार सुकल तेरसि बरह । घर ति तिन बर घरह ॥
सुकलंक लगन मेवार घर । समर सिंघ रावर वरह ॥ २१-१

सत्ताइसवें समय में हम विषम मेवाड़पति को पृथ्वीराज के पक्ष से सुलतान गोरी की सेना पर भयङ्कर आक्रमण करते हुए पाते हैं :


  1. पथ्वीराज रासो पर पुनर्विचार, राजस्थान-भारती, भाग १, अङ्क २- ३, सन् १६४६ ई०, पृ० ४३४४;
  2. पृथाव्वाह कथा, स० २१;