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मारकर पृथ्वीराज के मरने का समाचार पाकर, सामंत- मण्डली ने शाही सेना से छेड़छाड़ करने की मंत्रणा की और इस निश्चय के फलस्वरूप राजा रयनसो ने चढ़ाई कर दी तथा शत्रु सेना को भगाकर लाहौर पर अधिकार कर लिया; इसकी सूचना ग़ज़नी पहुँचने पर वहाँ की सेना ने आगे बढ़ते हुए दिल्ली-दुर्गं का घेरा डाल दिया और अपने पूर्व पौरुष का परिचय देते हुए रयनसी ने वीर गति प्राप्ति की ।[१]

ओझा जी का कथन हैं कि पृथ्वीराज के पुत्र का नाम 'हम्मीर महा- काव्य '[२] में गोविन्दराज दिया है, जो उनकी मृत्यु के समय बालक था, तथा फारसी तवारीख़ों में उसका नाम गोला या गोदा पढ़ा जाता है, जो फारसी वर्णमाला की अपूर्णता के कारण गोविंदराज का बिगड़ा हुआ रूप ही है । [३]परन्तु 'सुर्जन चरित्रमहाकाव्य'[४] में पृथ्वीराज के पुत्र का नाम (बिना उसकी माता का उल्लेख किये) प्रह्लाद दिया है जिसका पुत्र गोविंदराज बतलाया गया है ।

ओझा ने लिखा है कि सुलतान शहाबुद्दीन ने पृथ्वीराज के पु गोविंदराज को अपनी आधीनता में अजमेर की गद्दी पर बिठाया जिससे उनके भाई हरिराज ने उसे अजमेर से निकाल दिया और वह रणथम्भौर में रहने लगा; हरिराज का नाम पृथ्वीराजरासो में नहीं दिया हैं परन्तु पृथ्वीराजविजय, प्रबन्धकोश के अन्त की वंशावली तथा हम्मीरमहाकाव्य में दिया है[५] और फारसी तवारीख़ों में हीराज या हेमराज मिलता है[६], जो उसी के नाम का बिगड़ा हुआ रूप है । परन्तु 'सुर्जनचरित्र महाकाव्य' में हरिराज के स्थान पर मानिक्यराज मिलता है ।

बीकानेर- फोर्ट-लाइनरी की ४००४ छन्द प्रमाण वाली रासो की प्रति में दाहिमी से पृथ्वीराज के विवाह का उल्लेख नहीं है और साथ ही शशिवृता एवं हंसती आदि अनेक कन्याओं से भी उनके विवाह नहीं मिलते ।[७] इन


  1. छं० ५३ - २१३ ;
  2. तत्रास्ति पृथ्वीराजस्य प्राक पित्रातो निरासितः ।- पुत्र गोविन्दराजाख्य: स्वसामर्थ्यात्तवैभवः || २४, सर्ग ४ ;
  3. पृथ्वीराजरासो का निर्माण काल, कोत्रोत्सव स्मारक संग्रह, पृ० ४८८ :
  4. इलोक -१ - ३, सर्ग ११
  5. जे० ए० एस० बी०, सन् १९१३ ३०, पृ० २७०-७१ ;
  6. इलियट, हिस्ट्री व इंडिया, जिल्द २, पू० २१६
  7. पृथ्वीराजरासो की एक प्राचीन प्रति और उसकी प्रामाणिकता, डॉ० दशरथ शर्मा, ना० प्र० प०, कार्तिक १९६६ वि०, पृ० २७४८२१