पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/२४४

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रू० ५ - [ चंद कवि ने पृथ्वीराज को उत्तर दिया-] " हिमालय के समीप एक बड़ा ऊँचा वट का वृक्ष था जो सौ योजन तक विस्तृत था । भतंग ने (पहिले तो) उसकी शाखायें तोड़ीं और फिर मदांध हो उसने दीर्घतपा ऋषि का उद्यान उजाड़ डाला (जिसके फलस्वरूप) हाथी की आकाश गामी गति मंद (क्षीण) हो गई और नरों ( मनुष्यों) ने उसे सवारी के लिये संग्रह कर लिया ।" चंद कवि ने कहा कि हे संभल के राजा (पृथ्वीराज), इस प्रकार सुर गयंद भूमि (पृथ्वी) पर रह गया।

शब्दार्थ - रू० ४ - च्यारि=चार। पिषि= (पेखना < सं० प्रेक्षण) देखे जाते हैं । वारन = हाथी । पुच्छि= पूछा <सं० पृच्छ नोट- प्राय: भद्र,मंद्र या मंद और मृग इन तीन प्रकार के हाथियों का वर्णन मिलता है परन्तु कहीं कहीं चार से अधिक हाथियों की जातियों का भी उल्लेख है । को-से । नरपत्तिय- नरपति (राजा)। सुर वाहन-देवताओं की सवारी किम=किस प्रकार, कैसे। धरत्तिय हि० धरती <सं० धरित्री = पृथ्वी।

रू० ५——हेमाचल=[हेम (बर्फ) + अचल ] हिमालय पर्वत (जो भारतवर्ष की उत्तरी सीमा पर है।)। उपकंठ - वि० (सं०) निकट, समीप। बट- बरगद। वृष < सं० वृक्ष = पेड़ । उतंगं ऊँचा। जोजन <सं० योजन । परिमान <सं० प्रमाण। साथ <शाख (यहाँ 'साप' का बहु वचनांत प्रयोग है )। तस< सं० तस्य= उसकी। भंजि <सं० भंजन = तोड़ना । मतंगं-हाथी। बहुरि=फिर। दुरद < सं० द्विरद = दो दाँत वाला अर्थात् हाथी । दाहि गिराना । श्रारामं == फुलवारी aगीचा, उद्यान, उपवन [अ० -- "परम रम्य आराम यह जो रामहिं सुख देत।" रामचरितमानस ]। देषि < हि० देखकर। कुपिकुपित अर्थात् क्रोधित होकर । तामं=तिसको ( अर्थात् -- उसको )। दीर्घतपा री = ('री' शब्द ऋषि का संकेत बोधक प्रतीत होता है ।) दीर्घतमस् ऋषि एक प्रख्यात ऋषि थे। ये चन्द्रवंशी पुरुरवा के वंशज काशिराज के पुत्र, काश के पौत्र और प्रसिद्ध धन्वंतरि वैद्य के पिता थे (विष्णु पुराण)। 'अनु' के वंशज सूतपस के पुत्र बलि की स्त्री से नियोग करके इन्होंने अंग, बंग, कलिंग, सुझ और पुण्ड नामक पाँच पुत्र उत्पन्न किये थे ( विष्णु पुराण ४ । १८। १३ )। महाभारत, मत्स्य पुराण और वायु पुराण में दीर्घतमस् का जन्म बृहस्पति के बड़े भाई उजासि ( या उतथ्य ) और ममता द्वारा होना लिखा है। वायु पुराण में हम इनका नाम दीर्घतपस भी पढ़ते हैं । ह्योनले महोदय ने यू० पी० जिला फरूखाबाद के कंपिल ग्राम के जिन दीर्घतपा ऋषि का उल्लेख अपनी पुस्तक में किया है उन से यहाँ कोई संबंध नहीं समझ पड़ता। डॉ० ह्योनले का अनुमान है कि अगले