पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/२५४

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नहीं कही जा सकती । 'ढोला मारू रा दूहा, में भी नाविया =न + आविया सदृश अनेक शब्द मिलते हैं ।

नोट- कवित्त ११ की दूसरी पंक्ति का अर्थ [-"On the banks of Reva, there are plenty of beautiful large elephant's tucks in every direction" Hoernle. अन्तिम दो पंक्तियों का अर्थ-‘At the water as well as on the mountains, there is heard in profusion the cry of the musk deer, wild beasts and birds. O king Chahuvan, believe one who has seen it; it is impossible, to describe in words the ( beauty of the ) southern country.” Hoernle इन पंक्तियों को Mr. Growse ने Indian Antiquary. Vol III, p. 340 में इस प्रकार लिखा है-

"Flock and fowls scream on the water, on the plane are musk deer, and on the hill birds." Kuh being the verb which is more common in the frequentative form Kokuya.

दूहा

एक ताप पहुपंग को अरु रवनीक जु[१] थांन ।
चामंडराय[२] वचन सुनि, चढ़ि चढ्यो चहुत्र्यांन ॥ छं० १२ । रू० १२।

कवित्त

चढ़त राज प्रिथिराज, वीर अगिनेव[३] दिसा कसि ।
सब भूमि नृप नृपति, चरन चहुआन लग्गि धसि ॥
मिल्यो भान बिस्तरी, मिल्यो बट्टल गढ्ढी नृप ।
मिल्यो नंदिपुर राज, मिल्यो रेवा नरिंद अप ।
aवन जूय मृग्ग सिंघहरु गज, नुप आवेदक पिल्लई[४]
लाहौर थान सुरतांन तप, वर कागद लिपि मिल्लई ॥ बं० १३ ॥ रू० १३ ।

भावार्थ- रू० १२ -- एक तो पहुषंग ( जयचंद ) को कष्ट पहुँचेगा दूसरे स्थान भी रमणीक है- (यह विचार कर चामंडराय के वचन सुनकर चौहान चढ़ aar (अर्थात् चौहान ने प्रस्थान की आज्ञा दे दी)।

रु० १२——-वीर महाराज पृथ्वीराज के दक्षिण पूर्व पथ में सुसज्जित होकर गमन करने पर ( उस मार्ग पर पड़ने वाले ) देशों के राजे महाराजे उनके


  1. मो०-सु
  2. ना० -वानंडराय
  3. ना० - श्रगनेव
  4. ना०- खिल्लई