पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/२५८

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नष्ट करने के लिए ज्ञान घोड़े दौड़ा रहे हैं ।( सारस = सेना इसलिए सत्ता, राज्य या बल; उप्परा < उपारना= नष्ट करना; पल्लानयं <सं० पलायनं = दौड़ाना, भगाना ) ]।'( केवल ) एक साहबशाह ( गोरी ) रहे और कोई न रहे यह कहकर गोरी की सेना उसका स्वागत कर रही है।

शब्दार्थ - रू० १४--प्रांतातार मारूफ षां यह इस युद्ध में शहाबुद्दीन गोरी का प्रधान सेनापति समझ पड़ता है क्योंकि इस सम्पूर्ण सम्यौ में हम उसे एक प्रतिष्ठित पद और मुख्य- सैन्य -संचालन में पाते हैं । ना० प्र० सं० ( पृ० रा० ) में इस छ० के ऊपर के नोट में एक नाम ' तातार मारूफ खाँ' के स्थान पर तातार ख़ाँ और मारूफ ख़ाँ दो नाम पाये जाते हैं जो उचित नहीं समझ पड़ते। दो का अर्थ है कि खाँ- तातार मारूफ खाँ ने शाह के हाथ से पान का बीड़ा उठाया - ( प्राचीन समय में यह नियम था कि जब कोई कठिन कार्य श्रा उप- स्थित होता था तो दरवार में पान का बीड़ा रखकर अपेक्षित कार्य की सूचना दी जाती थी श्रतएव जो सरदार अपने को उस काम के करने के योग्य देखता वह बीड़ा उठा लेता ) -जो प्रथानुसार भी ठीक है अतएव तातार मारूफ खाँ एक व्यक्ति है। डॉ० ह्योनले भी एक ही व्यक्ति मानते हैं। दो व्यक्तियों का भ्रम इस शब्द (ख़ाँ-तातार-मारूफ-ख़ाँ) के दोनों ओर ख़ाँ लगाने से हो गया है परन्तु चंद ने रासो के अनेक स्थलों पर एक ही व्यक्ति के लिये इसके अनुरूप प्रयोग किये हैं। अगले साटक छंद से भी तातार मारूफ खाँ के एक व्यक्ति होने का श्राभास मिलता है | लिये पांन कर साहि= शाह के हाथ से पान लिया है; (इस भाँति प्रान का बीड़ा किसी दुष्कर कार्य को सम्पादित करने के लिये ही उठाया जाता था और इस समय चौहान से मोर्चा लेना साधारण बात न थी) । उप्परै धर== उपार ( उखाड़) देने के लिये । वर चहुद्यांनी उप्परै = चौहानी को उखाड़ देने के लिए। बज्जा = फेंकने वाले वाजे जैसे तुरही, बिगुल, भोंपू आदि । बज्जन वे 'बजाते हैं; (यह पंजाबी भाषा का शब्द है और यह क्रिया वर्तमान काल, बहु- वचन, उत्तम पुरुष की है)। बाइ <सं० वायु । ['बज्जन वाह' की भाँति 'पोन निसान' भी है जिस का प्रयोग रामचरितमानस में देखा जा सकता है ]।

रु॰-१५ - श्रोतं सुनिये। भूपय राजन् (संबोधन )। बर = श्रेष्ठ ! भरं भट ( का रूप है ) = वीर । बज्जाइ= बजाकर । सज्जाइने = सजा लिया है । सा उस (गोरी ) की। सेना चतुरंग बंधि सेना चतुरंगिणी वन कर । उ< (हिं० क्रिया) उत्तरना= झपटना । तुझी तुहारे कपर। सारस=सार सहित (अर्थात् शक्ति पूर्वक ) । उप्परा = (१) व्याक्रमण (२) उखाड़ फेंकना । बस <सं० वशः = इच्छा। रसी ( या रसिक )=घोड़ा, हाथी । पल्लानयं=जीन