कुंडलिया
भावार्थ- रू १६ - म्लेक्ष [ तातार भारूफ खाँ ] ने ( तुम्हारे विपक्ष में दी हुई अपनी ) सलाह की सत्यता प्रदर्शित करने के लिये हाँथ में पान और सुपारी ली फिर कुरान के वाक्य पढ़े ।
रू० १६ - तातार खाँ ने पवित्र कुरान की शपथ ले कर कहा कि रण का वेश धारण कर फिर मरना क्या ( मरने का क्या डर )। मैं लाहौर नगर को नष्ट कर तथा अधिकृत कर चौबीस घंटे में दिल्ली भी ले लूँगा । हे सुलतान सुनो, पुंडीर की लोथ गिरा कर चौहान पर आक्रमण होगा [ या- मैं लाहौर नगर को नष्ट कर अधिकृत कर लूँगा और सुलतान सुनेगा कि दूसरे दिन मैंने दिल्ली भी ले ली है। पुंडीर की लोथ पार करके चौहान पर क्रमण होगा ]। आप अपने चित्त में किसी प्रकार की शंका न करें (क्योंकि) राजा [ पृथ्वीराज ] श्राखेट खेलने में संलग्न है । ( तब ) शाह गोरी ने ( चढ़ाई बोल देने की ) आज्ञा दी और सब लोग पवित्र पुस्तक [ कुरान ] को छू कर चल दिये ।
सूचना - यहाँ चंद पुंडीर का पत्र समाप्त हो जाता है।
शब्दार्थः - दूहा - १६ - प्रति वेली फल = अहिवेल या नाग सुपारी । हथ्थ<सं० हस्त = हाँथ । तौ = तो 1 बेल का फल तुम्हारे (ऊपर दी हुई सलाह) | मेच्छ = म्लेक्ष ( यहाँ तातार सारूफलों के लिये आया है ) । मसूरति <० सलाह। कुरानी बार=कुरान की (b) इबारत ।
रू० १७-मुसाफ <सं० पुस्तक या पृष्ठ - ( जो धर्म पुस्तक कुरान के लिये प्रयुक्त होता है ।) उन्होंने 'जिहाद' करने के लिये क्रुरान की शपथ ली । [-इस कुंडलिया में दो स्थानों पर मुसाफ आया है । पहिले