पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/२९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(५९)

अर्थात् प्रात: काल को । बर रोगी-श्रेष्ठ रोगी अर्थात् कठिन रोगी । [वैद्यक ग्रन्थों में कहा गया है कि रात्रि में रोग बढ़ता है और प्रात:काल अर्थात् सूर्य निकलने पर कम हो जाता है। बहुत कम रोगियों की मृत्यु सूर्य निकलने पर होती हुई देखी जाती हैं। यह वैज्ञानिक ग्राधार भूत बात भी है। विषम बीमारी वाले रात्रि भर यही वांछना किया करते हैं कि कब प्रात:काल होगा ] | संस्कृत में जिस प्रकार 'भारी बदमाश' के लिये साहित्यिकों ने 'सुदुष्ट' शब्द का प्रयोग किया है उसी प्रकार चंद ने रासो में 'बर निषेद' अर्थात् 'अत्यंत निद्धि' और 'घर रोगी' अर्थात् 'कठिन रोगी' का । उनन=उन्होंने । रंक = दरिद्री । करन्न < कर्ण - ये सूर्य के वरदान द्वारा उत्पन्न हुए कुंती के पुत्र थे । कुमारी कुंती ने इन्हें नदी में बहा दिया और विरथ राधा ने इन्हें पाला | दुर्योधन ने इनका बड़ा सत्कार किया और उच्च पद दिया । ये बड़े वीर योद्धा थे । सूर्य ने इन्हें एक अमोघ कवच और कंडल दिये थे । महा- भारत के अवसर पर कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप रखकर कर्ण से कवच और कुंडल भाँगे और दानी कर्ण ने सारी बातें विचारते हुए भी उन्हें दे दिया। युद्ध भूमि में कर्णं श्राहत पड़े थे अंतिम साँसें चल रहीं थीं | कृष्ण ने अर्जुन को कर्ण की दानशीलता दिखाने के लिये फिर जाकर दान माँगा । अब बेचारे कर्ण के पास क्या था ? हाँ, याद आया । दाँतों में दो लाल जड़े थे और बाहरे दानी कर्ण, पत्थर से दाँत तोड़करलाल निकाले और कृष्ण को देने लगे । कृष्ण ने मकारी की और बोले कि रक्त से सिक्त वस्तु दान नहीं की जाती । कर्ण ने लेटे लेटे सारी बच्ची खुची शक्ति बटोरकर एक वारा भूमि में मारा, गंगा की धार निकली उसमें लाल वोकर कृष्ण को दे दिये और दम तोड़ दी । [ इस महान दानी का विशेष हाल महाभारत में देखिये ] | सती = पतिव्रता स्त्री; जो अपने मृतक पति के शव के साथ जलने जा रही हो । सत्त< सत्य ( यहाँ सती के सतीत्व से तात्पर्य है ) । उर = हृदय।

नोट- रू० ४८ - He raised aloft his arms from below, (while) Saturn rose form the ocean. Speaking his anxiety, the king prayed (to the planet). "Who will not do so, oh brother !” says the poet Chand. [ Hoernle, pp. 26-27.]

श्री ग्राउज़ महोदय ने अपना मत इस रूपक पर इस प्रकार प्रकट किया है- "उद्ध अध mean 'up and down, 'avadh' round about; in the second line the alternative reading 'bidhi' should be substituted for 'badhi; and 'kaun bhai' in the last line is 'which you please.' The general meaning and style