पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/३१७

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(SE) (वसंत में) शीत से दग्ध प्राणियों को धूप से कष्ट नहीं होता है। ( यौवन में) प्रेम का संचार मन में होता है और वही उर (हृदय) में भय का संचार करता है | ( वसंत में ) वृक्षों में पतझड़ हो जाता है परन्तु पत्तों के निकलने की फिर आशा रहती tar में) भूषण विहीन होने पर भी बाला का मुँह सुंदर रहता है । ( वसंत में ) कोयले अपना स्वर और भ्रमर अपने पंख सजाते हैं । ( यौवन में ) उड़ते हुए भौरों के स्थान पर नवेलियों की काली आँखें दिखाई पड़ती हैं। अपने लिये चतुरंगिणी सेना सजाने के लिये ( वसंत ने ) वन के वृक्षों की पंक्तियाँ सजाई हैं और ( यौवन पर ) आक्रमण करने के लिये शैशव ने (दुंदुभी या ढोल ) बजा दिया है । कवि की बुद्धि अनेक उपमाद्यों का कथन नहीं कर सकती । इन दो अवस्थाओं (शैशव और यौवन) के मिलन ( वयःसंधि ) का वर्णन चंद के लिये कठिन है । शब्दार्थ ----- -- ० ६३ - रतिराज < ऋतुराज वसंत (कामदेव का साथी ) । जोबन < यौवन । राजत== मुशोभित । जोर=जोड़ा। चंप्यौ = दाबकर, समाप्त करके । ससिरं=शिशिर ऋतु । उर शैशव कोर= शैशव के हृदय को छेदकर अर्थात् शैशव काल को दबाकर । उनी मधि मद्धि-उन (ऋतुराज और यौवन) के बीच में | मधू धुनि होय = मधुर वार्तालाप होता है। जुब्बन << योवन | बैन < वचन= शब्द | उद्दिम <सं उद्यम ( उत+ यम + अल ) = उत्साह पूर्वक | मैंन < सं० मवन = कामदेव | दुरि= दौड़कर | क्रेनन < कर्ण = कान | दुरी दुरि== 1 हुआ; दौड़ता हुआ । ससि रोरन = शिशिर का शब्द । उभै < उभय = दोनों । श्रौन < श्रवण–कान | सुरंग्गिय= सुरंग (लाल रंग जो होली के अवसर पर फेंका जाता है) । रज्जि=सजकर । नर दोउदोनों मनुष्य (ऋतुराज और यौवन ) । चपे= दब गये ( यहाँ छिप गये से तात्पर्य है ) । मीन = मछलियाँ | नलीन < नलिन = कमल । अति रज्जि = अत्यंत ( रंजित ) प्रसन्न होकर । विभ्रम= संदेह | भारु भार, बोझ । परीवहि < परिवाह वहन करना, ढोना ! भवभय । तुच्छ — यह प्रेम' के लिये प्रयुक्त हुआ जान पड़ता है । नज्जि < सं०/नज: = शरमाना, लजाना; तज्जा । मारुत वायुदेव का नाम | मुर= मुड़ना; अपनी बारी आने पर । फौज ८ श्र० = सेना । सकुच्छि < संकोच | कछेकठे = एक साथ इकट्ठे । दहि = जलाना | कंदहि = कष्ट पहुँचाना; नाश करना | सोतम=शीत | अंष = आँखें । मत्तियमति, बुद्धि । जूह सं० यूथ > जूथ = समूह | अनंत = वर्णन । वैसंवय <सं० वयःसंधि दी arrari शैशव और यौवन का ---मिलन | चंद कठोर = चंद कवि के fat afores है । فوج