पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/३२०

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( ८२ ) बंधनाने लगे । सात सामंतों ने शाह का मार्ग ( खाई सदृश ) रोक बन कर रोका और दोनों सेनायें अपने सामने टट्टी घड़ी देख कर अलग हो गई । 1 कहने मन में सिंह का सा साहस भर गया । घिनं <क्षीण कम हो गया। दांन अवसर पर शकुन के लिए तथा शब्दार्थ - रू० ६४ - बोल = शब्द | बुच्चै खच्च खच्च-अस्त्र द्वारा मांस कटते समय की आवाज़ | वनं = घना, अधिक । स्वामि स्वामी (पृथ्वी- राज)। जंपे मन= मन में जपने लगे वा प्रार्थना करने लगे या मन लगे । महंमद साहस । सिंह मद्द मनं छोह = ममता । छोह मोहं = माया मोह । छुट्टे ननं = खूब दान दिये गये [ – युद्ध haara को प्रसन्न करने के लिये ब्राह्मणों को दान दिये जाने के वर्णन मिलते हैं ] | राजे राजा ( पृथ्वीराज ) । श्रमधर्मं । सातुकनं <सात्विक । नम 'सातुकनं = सात्विक धर्म पर दृष्टि रखी गई अर्थात् योद्धाओं ने सात्विक धर्म (-युद्ध में विपक्षी के कमर से नीचे वार न करना आदि ) निबाहा । बाहं = बह, भुजायें । मेछ बाहं बिनं = म्लेच्छ हाथ रहित हो गये अर्थात् उनके हाथ काट दिये गये । ['म्लेच्छ बाहन (= सवारी) रहित कर दिये गये ' -- ह्योर्नले ] | रत्त कंर्धं ननं कंधों से अत्यधिक रक्त बहने लगा; [ 'अनेक गरदनें रक्त से लाल हो गई'--ह्योर्नले] । दलढाल | जा = जिसकी । ढाहनं= गिर गई । जीव=प्राण | ता=उसका । हनं=मारना । संघनंसंधानना ( बारा को धनुष पर चढ़ाना ) । पंषि < पक्षी । बंधनं = जाल; बँधे हुए । सेतं < श्वेत = सफेद । पीत रतं = पीला और लाल । फौज फट्टी पुनं= फौज फट गई; [- हाथियों के क्रोधपूर्वक दौड़ने से सेना में भगदड़ मच गई] । उपभे (उभ्भे) = उपस्थित | सूर उपभे धनं शूर बने उपस्थित हुए अर्थात् योधागण झुंडों में खड़े हो गये । लेहु लेहु करी (करि=) हाथियों को लोलो (पकड़ी पकड़ो): [या-लोलो करने लगे ] | लोह का री= शत्रु ने तलवारें खींच ली या शत्रु के विपक्ष में तलवारें खिंच गई। कन्ह पृथ्वीराज के चाचा | 'कन्ह जा संभरी । पाइ मंडै फिरी - कन्ह अपना धनुष सम्हाले हुए पैर स्थिर करने लगे अर्थात् इधर उधर दौड़ने लगे । जा < सं० ज्या=प्रत्यंचा | हक्के-चिल्लाना । नैन नयन = नेत्र | रतं बरी रक्तवर्ण होना । खंड < खाँड़ा-सीधी दुधारी तलवार [ दे० Plate No. III ] | सा= . समान । बीर सा बोलियं = वे वीरों के समान बोलने लगे । वीर बज्जे धुरं वीर क्रूरता पूर्वक लड़ने लगे । दंति कटटे छुरं हाथियों को छूरों (= तलवारों) .से काट दिया। भार संकोरियं=इधर उधर से वार करके । विष्फौरिय= फोड़ना । फौज बिष्फोरियं = फौज को छितरा दिया । रुद्धी परे= अवरुद्ध हो गये ! अग्