पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/३३४

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यह वीर नरसिंह नहीं है जैसा कि रासो-सार में लिखा है और जैसा प्रस्तुत 'कवित्त' पढ़ने से जान पड़ता है। नरसिंह नागौर का राजा था ['नरसिंघ एक नागौर पत्ती। रिनधीर राज लीयै जुगत्ति।' रासो सम्यौ ६१, छं॰ ६४५]। नरसिंह का जन्म स्थान समियान गढ़ था और बलभद्र का जन्म स्थान नागौर था 'समियांन गढ्ढ नरसिंघ राइ। पित मात छोरि आए सु भाइ॥' रासो सभ्यौ १, छंद ५८७]। नरसिंह नागौर का शासक था और बलभद्र कूरंभ सभियान गढ़ का; परन्तु Indian Antiquary. Vol Ι, p. 279 में इसका बिलकुल उलटा लिखा है, जो अशुद्ध है। नरसिंह संयोगिता अपहरण वाले युद्ध में पृथ्वीराज के साथ था और लड़ते हुए मारा गया था। (रासो सम्यौ ६१, छंद १४८२)। षिज्झि=खीझकर। पल सीसह झारिय=खुल के शीश पर वार किया। तुटि धर धरनि परंत=(उसका) धड़ टूटकर (कटकर) धरती पर गिर पड़ा। परत संभरि कट्टारिय=गिरते गिरते उसने कटार मार दी (या—गिरते हुए भी वह कटार सम्हाले रहा)। कूरंभ=यह वही योद्धा है जो पल्हन का संबंधी था और जिसकी मृत्यु का वर्णन पिछले रूपक ६९ में हो चुका है। करारौ=करारा, तगड़ा; कगार, यहाँ लोथ से अभिप्राय जान पड़ता है। कूरंभ करारौ=करंभ की लोथ। झरी कर लोह सँभारी=(१) गिरते गिरते उसने तलवार से सहारा लेना चाहा (२) झर झर लोहू कीधार वह चली। थाइ<स्था=सहारा। चुक्कंत=चूक गया। तेग=तलवार। तिन परत उसके गिरने पर। दाहर तनौ (<तनय)=दाहरराय का पुत्र। चामंडा=चामंडराय। चामंडा बज्जी लहर=(१) चामंड ने तलवार बजाई (२) चामंड (युद्ध की) लहर में बज्जी (<बज्झी=उलझ गया) (३) 'चामंड दु:ख के आवेश से भर गया, (ह्योर्नले)। अंत=अंतड़ियाँ, आँतें।

नोट—"कूरंभराव के पुत्र नरसिंह ने खाँड़ा खींचकर ख्वाजा की खोपड़ी पर मार उसे एक ही बार में खपाना चाहा परन्तु उसने गिरते गिरते नरसिंह के पेट में कटारी भोंक दी जिससे उसके पेट की अंत मेद मज्जा आदि बाहर निकल पड़ी। वह वीर उसकी कुछ भी परवाह न कर करारे वार करता ही रहा।" रासो-सार, पृष्ठ १०२।

प्रस्तुत रूपक के शब्दार्थ में यह बात सप्रमाण निर्दिष्ट की जा चुकी है कि लड़ने वाला वीर नरसिंह नहीं था वरन् नरसिंह का संबंधी था। नरसिंह की मृत्यु का वर्णन रासो-सम्यौ ६१ में इस प्रकार है—

लग्यौ दल सिंघ करपि सु वीर।
वँपे चव सिंघ सु भग्गिय मीर॥