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(११०)

एक जुद्ध लंगरिय । आय चौकी सम जुट्यौ ।।
एक अंग लंगरिय । तीन लष्पह ही पुट्यौ।।
सार सार उछरंत । परी गिद्धारव भप्पन ।।
गज बाजित्र निहाय । वजि उत्तराधि दण्जिन ।।
इम भिर्यौ लंग पंगहि अनी । हाय हाय मुघ फुट्टयौ ।।
हल हलत सेन असि लष्य दल।चौकी चौरंँग जुट्टयों।।छं०१००६।।

मंत्री राव सुमंत। हथ्थ विंटचौ सचलंतौ।।
दुजाई दिल्लीप कोप । ओप कुझरनि बढ्तौ ।।
हालो हल कनवज । मंझ केहरि कूकंदा ।।
संजम' राव कुमार । लोह लग्गा लूसंदा ।।
न्च हुशान महो। जुद्ध हुथ। ग्रेहा गिद्ध उड़ाईयाँ।।
चहुआन महोवैं युद्ध हुआ ।ग्रेहा गिध्द उड़ाइयाँ ।।छं० १७०७ ।।

एक कहै अप्पान । एक कहि बंधि दिवाना ।।
बंधौ वंधन हार । मार लध्दी सिर कान्हा ।।
वावारौ बर तुंग । घग्ग साहै विरुझाना ।।
लंगी लंगर राव । श्रध्द राजी चहुआना ।।
उरतान ढंकि कमधज्ज दल । संजम राव समुध्द हुआ ।।
प्रारंभ जुद्ध जुड़े सवले । चलि अलि बीर भुजंग हुआ।।धं०१००८।।

अगले रासो सम्यौ ३१ में भी लंगरी राय के युद्ध का वर्णन मिलता है--

'लग्यौं लंगरी लोह लंगा प्रमानं ।
पगे पेत पंडबौ पुरासान पानं ।।'छं०१४४।।

'रासो सार' भी लंगरी राय की मृत्यु का वर्णन इस युद्धकाल में नहीं करता।

(३) लंगरी राय---पृथ्वीराज के सौ सामंतों में संजमराय का यह पुत्र भी था । यह बड़ा ही पराक्रमी तथा पक्का धनुर्द्धर् था---

'संजन राय कुमार बल। करि संगम नृप द्रंम।।
इक्क मिक्क एकत भए। अप्प चम्मर् पसु चम्मर्।। छं० ३१।।
गजन कुंभ जिस हथ्थ हनि। फारि चीर धरि डार।।
संजम राय कुमार सौ। वथ्थन मारि पछारि।। छं० २२।।
रीछ रोझ: वाराह हनि। दठ्ठन बढ्ढे कोरि ।।
तिते जीव उर मझझत। कढि जम दढ्ढे फोरि'।। छं० २३।।