पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/३६१

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निडर, निर्भय। नवं <नष्ट (करना)।माल्हंद= पल्हन का बंधु: इसकी मृत्यु का वर्णन रू० ६६ में है। राजी= राजा, नायक | क्रमं सत्त भाजी=क्रम से (एक के बाद एक) सात (गोरी के योद्धा) भाग खड़े हुए। सारंग=यह सारंग सोलंकी (या चालुक्य ) माधव का संबंधी है जिसकी मृत्यु का वर्णन रू० ७० में हो चुका है। वहीं हम पढ़ते हैं कि वह चौहान के साथ रहने लगा था। सोरं <फा०,=शोर करता, चिल्लाता हुआ। भट्टी-- अभी तक भट्टी नाम का कोई वीर नहीं मारा गया है। जहाँ तक अनुमान है यह रू०६७ में वर्णित पतंग जयसिंह के लिये चाया है जिसकी जाति का नाम वहाँ नहीं बताया गया है। यहाँ इस भट्टी के लिये लिखा है कि उसने मरते मरतें पाँच शत्रुओं को मार डाला और यही बात हम जयसिंह के विषय में पढ़ते हैं। यह भी संभव है कि यह रू० ५८ में आने वाला भट्टी हो। भान पुंडीर-- यह वही वीर है जिसकी मृत्यु का वर्णन रू०६८ में है। सोम=चंद्र। कामं=इच्छा। सोम कामं = चंद्रलोक की इच्छा करने वाला; या-- [सोम (< सं० सौम्य ) + कामं (<कार्य=काम) करने वाला]। जुझते <जूते युद्ध करते करते। बज्रयौ= बज गये ( या बीत गये)। पंच जामं = पाँच पहर (याम)। राउ परसंग लहु बंध भाई यह संभवत:बिडर के लिये आया है जिसकी मृत्यु रू० ८३ में वर्णित है। 'भाई' का 'संबंध' न लेकर भाई लेने से यह ऋतुविधा सामने है कि राव परसंग चौहानों की एक शाखा 'स्त्रीची' वंश का राजपूत था और विडर 'सिंघवाह' राजपूत था । जिनं मुक्कि अंसं छिनं सद्धि पाई- जिसने क्षण भर (के मंझ बीच) में मुक्ति का अंश पाया अर्थात् जो क्षण भर के अंदर (आवागमन से) मुक्त हो गया (था, जो क्षण भर के अन्दर मारा गया)। कुसादे <फाo: [Infinitive us से Pastt ense sus बना और उससे Past participle 05 (Having opened) बन गया]। चवै (चवय)< सं० श्रव = चूना, बहना, (परन्तु यहाँ 'कहना' से तात्पर्य है)। मुहि० मुख = मुँह।

नोट- प्रस्तुत कवित्त में ह्योर्नले महोदय का निम्न नौट सहायक होगा-

"The object of the following lines is, as Chand himself tells us, to identify the thirteen chiefs who fell on the present occasion. For there is con- siderable difficulty in making the list, given here, to agree with the preceding narrative, which the list is apparently intended to sum up. There are