पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/३७३

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नहीं बढ़ती अर्थात् उपमा नहीं देने बनता । विश्वंक्रम्म < विश्वकर्मा । वंशी= वंशज, राज, बढई, लुहार आदि विश्वकर्मा के वंशज कहे जाते है। दास्न < दारु (==लकड़ी) का बहु वचन है। गरौं या गहू =गढना। अंत= अंत. ड़ियाँ। कराली = भयंकर। मनाली सं० मृणाल = कमल नाल। उलध्ये पलथ्थी = उलटे पुलटे। विक्रमं <विक्रम=पुरुषार्थ। गोइंद (< गोबिंद) =यह नाम विष्णु के वामनावतार की थोर संकेत करता है। "कश्यप और अदिति के पुत्र बामन ने तीन पगो मे सब लोको को जीत लिया और उन्हे पुरंदर को दे दिया" (विष्णु पुराण)। विष्णु पुराण में इस अवतार का केवल इतना ही हाल मिलता है, विशेष विवरण भागवत, कूर्म, सत्स्य और वामन पुराणों में है। श्रीमद्भागवत मे यह कथा संक्षेप में इस प्रकार वर्णित है--- विरोचन के पुत्र बलि ने तपस्या और यशो द्वारा इन्द्रादिक देवताओं को वश मे करके आकाश, पाताल और मृत्यु लॉक पर कर लिया। देव- तो की प्रार्थना पर विष्णु ने कश्यप और अदिति के घर जन्म लिया । कश्यप का पुत्र बौना होने से वामन कहलाया। एक दिन वामन ने वलि से दान मागा। दैत्यो के गुरू शुक्र के मना करते हुए भी बत्ति ने वामन को मुँह मागी मुराद पूरी करने का वचन दे दिया। वामन ने तीन परा पृथ्वी मागी और बल के एवमस्तु कहते ही चामन ने अपना इतना आकार बढाया कि तीनो लोक भर गये। अंत में बलि और उनके पूर्वज प्रह्लाद की प्रार्थना पर बलि को पाताल का राजा बना दिया गया--'बलि' चाहा आकास को हरि पठवा पाताल'। यह भी कथा है कि वामन का एक पैर लकडी का डंडा था। 'प्राशुलभ्ये फले लोभदुदाहुवि वामन--रघुवंश।[ये विभिन्न कथाये देखिये -- Sanskrit Texts. J Muir. Vol. IV, p 116ff.]। गहै:= पकडकर। हथ्थ प्रा० < सं० हत्त = हि० हाथ। अमायौ = भीम-पांडवो के भाई भीमसेन के लिये लिखा है कि वे महाभारत मे कौरवो के हाथियों को सॅड पकडकर घुमाते थे और फिर उन्हें पृथ्वी पर पटक कर मार डालते थे (महाभारत)। सं० हस्तिन > मा० हथ्वी > हि० हाथी- ['हथ्थोन','हाथी' का बहुवचन है] दानबदनु के पुत्र।कश्यप की स्त्री दनु के चौदह पुत्र हुए जो दानव कहलाये (विष्णु पुराण १।२११४-६) । सं० भारत> प्रा० भारथ्य> हि० भारत, भारथ = घोर युद्ध।तारक=तारकामुर, राक्षस तपस्था द्वारा देवताओं से भी अधिक शक्ति प्राप्त की और फिर सबको त्रास देने लगा, तब इन्द्र ने शिव के पुत्र कार्तिकेय की सहायता से उसका बध


किया, [वि० वि० प०, मत्स्य पुराण कुमार संभव- कालिदास]। सुकं = घुमाया ।