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वार्तालाप हुआ]। रंभा ने मेनका से पूछा कि तुम्हारा चित्त क्यों भारी है ? मेनका ने उत्तर दिया कि “आज पहुनाई करने का दिन आया है;( पाहुन) रथों [ विमानों में बैठकर अन्य स्थानों को जा रहे हैं, तहाँ (युद्ध भूमि में खोजकर) मैंने अपने कंत को नहीं पाया; श्रेष्ठ वीर योद्धा युद्ध में लड़भिड़ और विजय प्राप्त कर [–-विजयी इसलिये कि शत्रु को मार कर मरे हैं—] स्थान स्थान पर चुपचाप पड़े हैं तथा उधर वाले मार्ग पर [ अर्थात् स्वर्गलोक की ओर] तापूर्वक चले जा रहे हैं; (मेरे लिये) सुरिता की संभावना नहीं दिखाई पड़ती (या मेरे लिये सुस्थिरता का समय नहीं दीखता) ।”

शब्दार्थ--रू० ६०--पच्छैं=पीछे ।भी (< सं० भव) = हुआ। अग्ग< सं० अग्र=आगे या पहले‌। विचारिय=विचार किया। पुछै=पूछा पूछती है। रंभ = रंभा (एक अप्सरा)। मेनिका (सं० मेनका= स्वर्ग की एक अप्सरा जो इंद्र की आज्ञा से विश्वामित्र का तप भंग करने के लिये गई थी और विश्वामित्र के संयोग से जिसने शकुंतला नाम की कन्या उत्पन्न हुई थी। सं० अद्य > प्रा० अज्ज > हि० आज। चित्तं किस भारिय-चित्त क्यों भारी है अर्थात् तुम उदास क्यों हो। पहुनाई = (हिंदी पहुना + ई प्रत्यय) अतिथि सत्कार। आई=आया,आई। रथ्थ<स०रथ,यहाँ विमान से तात्पर्य है)। औथान < उत्थान =ऊपर उठना (स्वर्गलोक की ओर), (या =औथान स्थान )। सोझ= ( १ ) [हिंदी सुकना = दिखाई पड़ना] (२)> सोध < सं० शोध = खबर, टोह। कंत=प्रिय। तह = तहाँ ( अर्थात् युद्ध भूमि में)। भर < भट। सुभर < सुभट। भिर=लड़भिड़ कर। ठांम ठांस ठाँक ठाँव अर्थात् स्थान स्थान पर। जीति = विजयी होकर। चुप चुप्पी साधे हुए अर्थात् चुपचाप । उयकीय=पूर्वी बोली में एथकई ओथकई का अर्थ इधर उधर है, अतएव उधकीय (या उथकी) का अर्थ इधर उधर= 'उधर' हुआ। सं० 'इत:+तत:' से इत उत, एतकी-ओथकी, एकैती-ओकैती,इत्त-उत्त आदि शब्द निकले हैं। हल्लै चल्यौ = हल्ला मचाते चले गये या शीघ्रता पूर्वक चले गये (क्योंकि विमानों में गए थे)। सुधिर (< सुस्थिर=जो भली भाँति स्थिर हो)= शांति। संभौ= (१) समय, ('समौ' का बोल चाल में 'संभौ' भी होता है); (२) संभावना। देषीय = दिखाई पड़ना।सं० नास्ति > प्रा० नत्यि > अप० मथि नहीं है।

नोट--(१)--युद्ध से आशान्वित होकर अप्सराओं ने अपने घर वीर गति पाने वाले योद्धाओं के स्वागतार्थ सजा रखे थे। परन्तु युद्ध के दिन इन