पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/३७९

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अर्थात् आक्रमण किया। मुझ < जुल्म < जुद्ध < युद्ध। फेरि= फेर देना पलट देना । सीव< सीमा । पेत रहि = खेत ( युद्ध क्षेत्र ) में रहा । घट घुम्मै= इकडे होकर घूमने लगे। सुविहांत=मात:काल;[यहाँ शीघ्रता से तात्पर्य है ।। बिहान < पंजाबी विहानस = बीत जाना। आइ=आकर। दुजन मुष झुम्मै=दुर्जनों (=शत्रुओं) के संमुख मूमने लगा। कर तेग हाथ में तलवार लिये हुए ! भलि मुहिमु हिलाता हुआ। नहिं सुरतानह= सुलतान नहीं हूँ, (सुलतान न कहलाऊँगा या सुलतान न रहेगा)। पन करी=पण किया। आदि <स० अध> प्रा० अज्ज<हि० आज !हार दीह = दी हुई हार ; पराजित करना।सुबर = (१) सुभट (२) अलीभाँति। तबहिं साह फिर पुकरी = तभी वह फिर शाह पुकारा जायगा (अर्थात् केवल तभी वह शाह कहलावेगा अन्यथा नहीं)।

नोट---(१) "दूसरे दिन मीर हुसेन के पुत्र हुसेन खाँ ने मारूफ वाँ का मुकाबिला किया और उसे घायल करके गिरा दिया, यह देखकर उजबक खाँ उसके सुकाबिले पर आया। दोनों में चड़ी देर तक बड़ी ताक झाँक होती रही अंत में उजवक ने एक ऐसा हाथ मारा कि जिससे हुसेन खाँ के भी गहरी चोट लगी और उसका घोड़ा कटकर ज़मीन पर लोट गया। इस युद्ध में शहाबुद्दीन बिकट व्यूह से रक्षित तलवार लिये मरने मारने पर उद्यत था रासो-सार, पृष्ठ १०२।

प्रस्तुत रू० में आया हुसेन लॉ गोरी का योद्धा है जिसके लिये अगले रू०६४ में लिखा है कि गहि गोरी सुरतान पान हुस्सेन उपारयौ ।' यदि हुसेन ख़ाँ ( चाहे वह मीर हुसेन का पुत्र हो या कोई अन्य हो) वही है जिसके लिये रासो-सार कहता है कि पृथ्वीराज की ओर से उसने मारूफ़ ख़ाँ का मुकाबिला किया तो फिर पृथ्वीराज ही की सेना सुलतान को पकड़ने के बाद उसे क्यों 'उपार' देती [ उखाड़ देती ( हरा देती ) ; नष्ट कर देती या मार डालती ] । इस प्रकार हुसेन ख़ाँ के गोरी पक्ष का सैनिक सिद्ध होते ही रासो-सार का उपयु के वर्णन अनुचित सिद्ध होता है।

(२) एक 'हुसेन खाँ' तातार मारूफ़ख़ाँ का भी भाई था और जहाँ तक संभव है वह हुसेन ख़ाँ वही था --[ऋषू तम्मि आपैंति वार। सम लाल पान हस्सन हकार ॥” छंद १६, रासो सयौ ४३]।