पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/४०३

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( १६५ ) सम्यौ ६७ में सुलतान गोरी की मृत्यु गजनी दरबार में नेत्रविहीन और बंदी पृथ्वीराज के शब्दवेधी बाण द्वारा होने का विस्तार पूर्वक उल्लेख है । आधुनिक इतिहासकारों का मत है कि पृथ्वीराज की मृत्यु युद्ध भूमि में हुई थी ( Mediaeval India. C. V. Vaidya; Dynastic History of India. Hemchandra ) । रासो के रेवातट सम्यौ में चंद पुंडीर को पृथ्वीराज द्वारा नियुक्त लाहौर का शासक कहा गया I लाहौर नगर और दुर्ग पर फारसी इतिहासकार मुस्लिम अधिकार बताते हैं । अन्य विश्वस्त सूत्रों के अभाव में हम दो सम्भावनायें मात्र कर सकते हैं कि या तो लाहौर नगर और दुर्गं पर कुछ समय के लिये पृथ्वीराज का अधिकार हो गया था था इस सम्यौ में वर्णित लाहौर से नगर का अर्थ न लेकर 'लाहौर प्रदेश' अर्थ करना उचित होगा; आधुनिक काल में जिस प्रकार लाहौर नगर और उस प्रदेश का थोड़ा भाग पाकिस्तान में है तथा उक्त प्रदेश का अधिक भाग हिन्दुस्तान में, कुछ ऐसी ही परिस्थिति उस समय भी रही होगी । सन् १२४१ ई० में चंगेज़ खाँ इस नगर को लूटा | खिलजी और तुगलक बादशाहतों के समय लाहौर की विशेष ख्याति नहीं हुई । सन् १३६८ ई० में तैमूर [ The Firebrand of the Universe ] ने इस नगर पर अधिकार कर लिया परन्तु लूटा पाटा नहीं और जाते समय सैयद विज्र खाँ को यहाँ का शासक नियुक्त कर गया । सन् १५२६ ई० में पानीपत के युद्ध में बाबर ने अफगानों को पराजित कर भारतवर्ष में मुग़ल साम्राज्य की नींव street | प्रथम छै मुग़ल बादशाहों का शासन काल लाहौर के लिये स्वर्ण युग था और इस नगर की सब प्रकार से बड़ी उन्नति हुई । "from the destined walls Of Cambal, seat of Cathian can, And Samarchand by Oxus, Temir's throne To Paquin of Sinaen Kings, and thence To Agra and Lahore of Great Mogal" Milton, Paradise Lost, Book XI-I. औरंगज़ब की मृत्यु के बाद लाहौर के फिर दुर्दिन आये । सन् १७३८५ में नादिरशाह का धावा हुआ परन्तु तत्कालीन दिल्ली सम्राट नियुक्त araौर के शासक जकरिया ख़ाँ के मेल कर लेने से नगर की रक्षा हो गई। सन् १७४८ में अहमदशाह ने लाहौर ले लिया । सन् १७६६ ई० में रणजीत सिंह