पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/४०४

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( १६६ ) ने लौटते हुए दुर्रानी शहंशाह से लाहौर का अधिकार माँग कर प्राप्त किया रणजीत सिंह ने सिक्ख राज्य की नींव डाली और मरते-मरते अपना साम्राज्य तिब्बत से सुलेमान तक और सिंधु के उस पार सुलतान तक कर लिया । उनके उत्तराधिकारी उतने योग्य न निकले । सन् १८४८ ई० में अंग्रेजों ने दलीप सिंह को गद्दी से उतार कर सिक्ख साम्राज्य ब्रिटिश भारत में मिला लिया । "Sorrow was silenced and the Sikh Empire became a story of the past. " (Old Lahore Goulding) लाहौर दुर्ग दक्षिण पूर्व में छोटा रावी नदी पर बना है । याधुनिक नगर के चारों ओर के बाग बगीचे, पुरानी मसजिदें, मीनार, मठ, कब्रें यदि देखकर स्पष्ट पता लग जाता है कि प्राचीन लाहौर का विस्तार यब से कहीं अधिक था । सिक्व उत्थान काल में सैनिकों को कवायद कराने के लिये न जाने कितनी पुरानी इमारतें गिरा कर मैदान बनाये गये और बाद में अंग्रेजों ने भी नगर की उन्नति की । लाहौर नगर में चारों ओर ये तेरह दरवाज़े हैं-- रौशनी, कश्मीरी, मस्ती, विजी, यकी, देहली, अकबरी, मोची, शाह आलमी, लाहौरी, मोरी, भाटी और तक्षली । अगस्त सन् १६४७ ई० में डोमीनियन स्टेटस प्राप्ति के उपरांत भारतवर्ष दो भागों में विभाजित हो गया और लाहौर इस समय पश्चिमी पंजाब की राजधानी तथा पाकिस्तान का प्रमुख नगर है । विभाजन काल में धार्मिक सहिष्णुता की ओट में, मानवता को कलंकित करने वाले हिंदू रक्तपात से इस नगर की भूमि रंजित हो चुकी है। शायद लाहौर की इतनी दुर्गति चंगेज़ खाँ तथा अन्य लुटेरे शासकों ने नहीं की, जितनी कि लीग के अनुयाइयों ने भारत विभाजन समय में की। [वि० वि० देखिये --Lahore, Latif Syed Muhammad; Old Lahore, Goulding; Lahore Directory; Ancient Geography of India, Cunningham; Delhi to Cabul, Barr; Vigin's travels; Journal of the Punjab Historical Socie- ty, Vol. I, (Historical Notes on Lahore Fort. J. Ph. Vogel, p. 38. ) ]