पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/५०

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अनिवार्य नही तथा यति-गति के नियंत्रण उसे विवश नहीं करते परंतु यह किससे छिपा है कि वर्ण और मात्रा योजना की लय की मधुरिमा उसके भावों की व्यंजनों की सिद्धि मे अदृश्य प्रेरक शक्ति है और ऐसी शक्ति का संबल कौन छोड़ना चाहेगा । वर्णन को दृष्टिगत रखकर ही छन्द का चुनाव होना चाहिये । प्रकाशित रचनायो को देखकर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि प्रत्येक छन्द हर प्रकार के वर्णन के लिये उपयुक्त नहीं होता । अवधी भाषा में प्रबन्ध-काव्य के लिये कुतबन, संझन और जायसी ने दोहा-चौपाई छन्द की पद्धति को अपनाया तथा तुलसी ने इस योग की शक्ति से प्रभावित होकर उसमें रामचरितमानस की रचना की । सेनापति, मतिराम, रसखान, भूषण, देव, घनानंद, पद्माकर, रत्नाकर प्रभृति कवियों की ब्रजभाषा कृतियो ने सवैया और कवित्त छन्दों को महिमान्वित किया । प्रमुखत: वीर रस के लिये तथा प्रबंध के लिए भी छप्पय् छन्द की उपयोगिता पाई गईं । दोहा छंद अपभ्रंश काल से नीति और उपदेशात्मक रचनाओं के लिए प्रसिद्धि में अ चुका था परन्तु गागर में सागर भरने वाले बिहारी के कौशल ने उसमे शृङ्गार की सूक्ष्मातिसूक्ष्म भावनाओं की व्यंजना कर सकने की क्षमता को भी पता दिया । रहीम ने बरवै जैसे छोटे छन्द में नायिका भेद' का प्रणयन कर उसे निखार दिया । हिदी साहित्य में जहाँ उचित छन्द के चुनाव ने अनेक रचनाओं और उनके रचयिंताओं को अमरता प्रदान की वहीं लाल और सूदन जैसे श्रेष्ठ कवियों की कृतियाँ छुत्र प्रकाश और सुजान चरित्र', वीर बु देला छत्रसाल और भरतपुर के पराक्रमी जाट नरेश सूरजमल जैसे नायकों की प्रशस्तियाँ होने पर भी प्रतिकूल छन्दों के निर्वाचन से वांछित लोकप्रसिद्धि न प्राप्त कर सकीं । भाषा तथा उसके शब्दों की संयुजन शक्ति को भली भाँति तौलकर ही छन्द की चुनाव करना किसी भी कवि के लिए अभीष्ट है । अवध में चौपाई को जो सफलता मिली बृज में वह सम्भव न हुई । यद्यपि छन्द-शास्त्रियों ने ऐसे नियमों का विधान नहीं किया फिर भी प्रकाशित रचनाअों की सफलता और विफलता ने यह विचार ध्यान में रखने के लिये वाध्य कर दिया है कि हर छन्द हर रस के अनुकूल नहीं हुआ करता।

रासो के छन्द एक समस्या उपस्थित करते हैं । इस काव्य में अनेक छन्द ऐसे है जिनके रूप का पता उपलब्ध छन्द-ग्रंथों में अवश्य मिलता है। परन्तु उनके नाम सर्वथा नवीन होने के कारण समस्या और उलझ जाती है तथा अनेक स्थल ऐसे हैं जिनमें छन्द के रूप के विपरीत उसका कोई