पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/५७

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बेजोड़ योद्धा, पृथ्वीराज-सदृश रणोन्माद में मदमाते, अपने स्वामी के सुख-दुख को अपना हर्ष-विषाद मानने वाले, छायों की भाँति उनकी रक्षा और आज्ञा में तत्पर वीर ऐकान्तिक श्रदर्श’ के जीवन्त प्रमाण हैं । देवगिरि की राजकुमारी शशिवृता, समुद्रशिखरगढ़ की पद्मावती और कान्यकुब्ज, की संयोगिता, झाबू की इच्छिनी, पुंडीरी दाहिमी और रणथम्भौर की हंसावती, मंडोवर की राजपुत्री और उज्जैन की इन्द्रावती प्रभृति पृथ्वीराज के साथ ढंग-ढंग से विवाहित होनेवाली पति-परायणा राज़ कन्यायें, अपने प्रियतम के युद्ध में वंदी होने का समाचार पाकर अग्नि-प्रवेश करने वाली क्षत्रिय-बालायें 'ऐकांतिक-धर्म-दर्श’ की सजीव मूर्तियाँ हैं । पृथ्वीराज का सखा, कवि, सहचर और परामर्शदाता, नेत्रविहीन और वंदी स्वामी की असहायावस्था में उनके शब्द-वेधी-बाण द्वारा सुलतान गौरी की हत्या कराके अात्म वलिदान करने वाला, स्वामिधर्म का साक्षात् प्रतीक चंद भी ‘ऐकान्तिक आदर्श' की प्रतिमूर्ति है।

अपने नाना अनंगपाल के न देने पर भी उनके दिये हुए राज्य की आधा माँगने वाले, राजसूय-यज्ञ के मिस चक्रवर्तित्व और दिग्विजय के अभिमानी, पृथ्वीराज के विपक्ष में हिन्दुओं और उनके देश-शत्रु सुलतान ग्रोरी के सहायक, बेटी विवाहने पर भी मुस्लिम-संग्राम की भीर एड़ने पर दिल्लीश्वर को सहायता न करने वाले पंग नरेश १ महाराज जयचन्द्र ); स्वयं निर्वासित किये हुए भाइयों के पृथ्वीराज के यहाँ अाश्रित होने पर बैर मानने परन्तु उनकी हत्या के समाचार से युद्ध के नगाड़े बजा देने वाले, श्राबूराज की दूसरी कन्या से बलपूर्वक विवाह करने के आकांक्षी, जैन धर्म के प्रभाव से ब्राह्मणों का अपमान करने वाले और अनेक छल-छद्मों के आयतन भोमाराय भीमदेव चालुक्यः सांसारिक सुख के उपभोग के लोभ में स्वामि-धर्म को तिलांजलि देकर अंतिम युद्ध में चंद को जालंधरी देवी के मंदिर में बंद करके सुलतान गौरी के पक्ष में जाने वाले, काँगड़ा दुर्ग के अधिपति पृथ्वीराज के सामंत होहुलीय हमीर; अनीति करने वाले महोबा के शासक दम्भी परमर्दिदेव उपनाम् परमाल तथा बार-बार युद्ध में पराजित और बंदी होकर क्षमा याचना करने, क्व रान की शपथ पर फिर अाक्रमण न करने का वचन देने और उसकी अवज्ञा करने, पृथ्वीराज की साधुता के प्रतिदान में उन्हें वंदी करके अंधा करने वाले, छल-बल को ही धर्म और कर्म मानने वाले दुष्टात्मा, विश्वासघाती, निर्लज्ज और दुर्निवार सुलतान गौरी, उसके सेनानायक तथा मंत्री श्रादि ऐकान्तिक-पाप-आदर्श की प्रतिमायें हैं।