पृष्ठ:लखनउ की कब्र - किशोरीलाल गोस्वामी.pdf/१०९

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६ जना बेगम साहिब की खिदमत में आई है कि वह थूसुफ, जिसके कुल हालात हुजूर पर रौशन हैं, तल्ल के पीछे लज़ जोड़ एहि हुई, मोरयालियों के केस में एड है ! १५ | सुरीन सोच सकते हैं कि इस अनुसून ॐ पढ़तेह मे ॥ ३ ज़ हुई होगी । लेकिन नहीं, मुझे क्रुिर स्त्रिी ने पीछे से चुटकी भर । न जाने क्या कर मेरे हाथ से, न सोलुम किसने उस खत के लिया। मैंने पीछे किरकर देखा तो सब मोरङलेवलियं की नि शुभ र गढ़ी हुई थी। मैंने चाहा कि किसी से यह पूहूं कि किए शन ने मेरे हाथ से खत छोह लिय हैं, लेकिन हिम्मत न पड़ी। इतनेही में किसी ने मोड़ हुआ। कार मेरे हाथ ३ देदिया, लेकिन इद वह भी मैने यह न जाना कि यह कागज किसने के दिया। मैने उन काइज़ को खलकर देखा तो वह बिल्कुल सदर नजर आ इतनैही में देगन साहिया ने फिर से तरफ धूमकर देखा और मेरे हाथ से उस लिफाफे और बाद छह को लेकर और इसे उलट एलटर माल ले झिड़कर कहा,---* हमाद इस लिफाफे के अन्दर तो बिलकुल जादा कागज़ है ! । | इतना कहकर उन्होंने दाँदिनों की तरफ देखकर हुक्म दिया कि, * इस बदमाश अस्मानी को कमरे के बाहर निकाला है । तुरंत कई वदियों ने उसे हुलकर कमरे के बाहर कर दिव और इस अजीतम को देखकर मुझे निहायत जुव हुआ । । सोचने लगा कि इन ने मुझडौ को खत पड़ने से क्यों चुना जिसमें मेरे हो खिलाफ लिखा हुआ था । फिर मेरे हाथ से ख़त लेकर मुझसे ह क्यों न पूछा कि,-'कङ्ग य? इसके अन्दर से सदा ही निकला था। मैं फिर स्मन पर इतनी नईज़ी य हुई और मुझ से एक भी नहु य न किया था ? शरङ यह कि इन्हीं बातों पर गौर करने लहू । डेरा यि बदरपुर ग सुनने लगी और मैंने भी अपनी अलु छ !! हुई झझक मौज । किं ।