पृष्ठ:लखनउ की कब्र - किशोरीलाल गोस्वामी.pdf/४७

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| किसी दूसरी लौंडो को तैनात करदो। मैं समझता हूं कि ऐसा करने से | फिर तुम्हारे दिल में मेरी जानिब से कोई खटका न रह जायगा । " उसने कहा,-६ लेकिन, इसके करडे से कोई नतीजा नहीं; वजह | इसकी यह है कि मेरी खिदमत में एक से एक बढ़कर लोडियां हैं, बस जो यहाँ आएगी, उसी के साथ तुम छेड़छाड़ करोगे, और उसी को अफ्नी लच्छेदार बातों में फंसाकर यहांसे भगाने की बंदिशें बाँधागे” मैने कहा, “मुझे क्या स्वफ़कान संचार हुआ है कि मैं तुम | सरीखी हुर को छोड़ कर लौंडी के साथ यहां से भागने की कोशिश करूगा १ अजी साहब ! मैं दो यही चाहता हूं कि ताक़यामत मैं तुम्हारे क़दमों के साय तले पड़ा रहूं और मरने पर तुम अपने हाथों से इस्सी कमरे के अन्दर मुझे दफ़ दो ।' इतना सुनकर उसने अपनी कुर्ती के जेब में से एक कागज़ को. निकालकर मेरे हाथ में दिया और कहा,-* तो, अगर तुम मुझे इस कदर प्यार करते हो तो इस कामज़ पर अना दस्तखत कर दो। तब मैं समझेगी कि वाकई, तुम मुझे तहेदिल से प्यार करते हो और यहाँ । से भागने या मेरी किसी लडी से मुहब्बत करने को कभी इरादा न करो ।' मैंने उसके हाथ से वह कागज़ लेकर पढ़ा, जिसके पढ़ते ही मुझे मटा सा आने लगा और यही जान पड़ने लगा कि गोया कोई मेरा कलेजा पेठकर उसके अन्दर से मेरी रूह को बाहर कर । रहा हो। भोज़रीन ! वह एक तलाकनासो' था, जिसका मतलब यही था कि,-"मैं अपनी दिलाराम को काज़ी के. रूबरू' इसलिये तलाक देता हूं कि वह बदचलन औरत है।” - अफ़सोस ! उस कागज़ को पढ़कर मैने उसके टुकड़े टुकड़े कर . डाले । यह देख वह पुरीजमाल शेरनी की तरह संपकर उठी और अपनी कमर से लुटकले धुएं खंजर को बैंच, तनकर बोली,