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शाहीमहलसरा

रहकर बदमाशी की बाज़ार गर्म न कर सके ।”

मैंने कहा,--"और हरामज़ादी ! तू यों जुल्म का बाज़ार लगाए रहे और यहां से अपना मुंह काला न करे !”

वह बोली,--चुपरह, शौहदे ! वरना मैं अभी तेरी जीभ पकड़ कर बैंच लूंगी और तेरे तन की बोदियां काट कर चील कौओं को खिला देंगी । अफसोस ! तू अभी तक जीता जागता मेरी आँखों के सामने खड़ा है और मैं अभी तक तेरा कलेजा न चबा सकी !”

मैंने जल्दी से कहा,--बस बस, अब जिय़ादह ज़वांद्राज़ी न कर, वरना अभी मैं मारे लातों के तेरा भुरता बनाकर चख जाऊंगा ।”

इतना सुनकर वह कमर से खंजर खैंच कर मुझ पर पलीता लिए हुए ही झपटी अगर में होशियार न रहा होता तो उम्मीद थी कि उसका कातिल ख़ंजर मेरे कलेजे से पार पहुंच गया होता, लेकिन मैं पहले ही से होशियार था, इसलिये उछलकर उसके बगल में हो गया और बडी फुर्सी के साथ मैंने उसकी कलाई पाठक एवज छीन लिया । गो, मुझे उसपर निहायत गुस्सा आ गया था, लेकिन बुढी औरत समझकर मैंने उसे क़त्ल करना मुनासिब न समझा, सिर्फ एक लात सोनकर मैंने उसके कूल्हे पर ऐसी लगाई कि वह गिरकर, अंटा चित्त होगई और उसके हाथ से गिर कर पलीता बुझ गया ! ये सारी बात पलक मारते ही हो गई थी।

इतने ही में--मारो, बांधो, पकड़ो"--कहते हुए कई नको योश हाथों में ख़ंजर लिये हुए आ पहुंचे, जिनमें से एक शख्स के हाथ में एक जलता हुआ पलीता भी था ।

गरज़ यह कि जबतक मैं सम्हलूं उनमें से एक ने तांत का फन्दा मेरे गले में डालकर मेरे हाथों को बेकार कर दिया और मेरे उस खंजर को छीनकर, जोकि मैंने आसमानी से छीन लिया था, ये ज़मीन में पदक, कस कर मेरे हाथ पैर बांध दिए।