पृष्ठ:लखनउ की कब्र - किशोरीलाल गोस्वामी.pdf/७९

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अभी सिर्फ इतनाही लिखना मुनासिब समझती हूं कि अभी कुछ दिन आप और इसी जगह रहेंगे और बांदी जहाँ तक होसकेगा, बहुत जल्द आपकी खिदमत में हाज़िर होगी, लेकिन जरा सम्र कीजिये ।। ३ . मैं समझती हैं कि अग्र आपकी सब बातों का जवाब हो गया । रहा सिर्फ मज़ाक का जवाब, उसका जवाब मैं खुद मिलकर आपको दूंगी; तवें आपको बस्बूवी मालूम हो जायगा कि नए दुलहे के साथ में दुल्हन के हिजाब से मेरे हिजाब में कहाँ तक तफाक्तहै ।

  • अखीर में इतना और लिखकर मैं इस खत को खतम करती हैं।
  • कि इसे पढ़कर सिर्फ चाक ही न कर डालियेगा, बल्कि जला कर

= इसका नामोनिशान भी मिटा दीजियेगा । । - आपकी खादिम एक नाचीज़ ।” अह मलम ! इस नाज़, नखरे, प्यार, मुहब्बत, और हमदर्दी ३ से भरे हुए खूत को पढ़कर मेरी अजीब हालत होगई और मैं दिलही । दिल में यह सोचने लगा कि या खुदा ! यह क्या मुआमला है। यह ॐ औरत कौन है और किस गरज से यह छिपी छिपी मेरे साथ इतनी मुहब्बत कर रही है ! क्या यह भी ' शाही महलसरा' की कोई | ऐयाचे अौरत है, जो अपने दामे मुहब्बत में मुझे गिरफ्तार कर के, । मनमाना नाच चरना चाहती है ! और क्या यह भी उसी किस्म की औरत है, या उन्हीं में से कोई एक है, जो मुझसे दिलाराम की मुहब्बत छुड़ाया चाहती थी ! किस्सह कोताह, मैं इसी उधेड बुल में देर तक लग रहा, लेकिन कोई बात दिल में जमी नहीं । अवीर में मैने उस खत को यह समझ कर में जलाया और अपने पास छिपा रखा कि शायद् वक्त पर इस से कुछ काम निकले, बाद इसके मैने. स्वाना स्वाया और कुछ देर शराम कर के किलाब देखने लगा । .... .