पृष्ठ:लखनउ की कब्र - किशोरीलाल गोस्वामी.pdf/८७

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  • शाहीमहलस ** . . ८५

इस नकली हुस्न पर मैं ही दीवानर छुअर जाता हैं; तो, काश, अंग . ‘बादशाह की बंद नजर मुझ पर पड़ गई और उसने मुझ पर हाथ चलाया तो मैं क्या करूगी ?” .. मेरी इस बात को सुनकर वह औरत खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली, उस वक्त तुम उनकी बग़ल गरम करना । . मैने कहा,-" अल्लाह ! यह नखरे रहने दो और सच कहो कि इस वक्त तुम मुझे कहां लेजाथा चाहती हो !! उसने कहा- बराओ मत, तुम्हें बादशाह के दरबार में ले । चुलती हैं। इस छल सरल-वालियों के झड़ में, तु में छाछ में रहना ! हम सब बादशाह के पीछे रहेंगी और वे पीछे फिरकर कभी छ देखेंगे। अगर देख भी लेंगे और सुंम पर उनका दिल भी आजायेगा. तो वहां पर थे तुम से कुछ भी छेड़छाड़ न करेंगे। बस, सिर्फ इतना ही कह देंगे कि, आज शव को तू मेरे वाचगाह में आ } "उल वक्त हज़रत शराब के नशे में बदहवास रहेगे, स, तुम्हारे पक्ज़ में में जाकर उनकी बल परम करूंगी ।” मैने कहा,“ लैर, यह तो हुथा, लेकिद तुम बतलाती हो कि तुम्हारे साथ और भी कई मोरङल-वलियां रहेंगी, पस: अगर उनमें से किसीने मुझे पहचाना या मेरे साथ कुछ छेड़छाड़ की तो क्या होगा। | उसने कहा, सुनो, वहां पर किसी की भी इतनी मजाल नहीं है कि कोई लव हिला सके। इसके अलावे मरछ वालियां मंहल में सैकड़ी हैं और उन सबों की अफ़सर में ही हैं। इसलिये इस बात का | मुझे पूरा अख्तियार है कि जिस दिन जिन्हें चाहूं, चुनकर अपने साथ ले जाऊ; इसमें कोई टोकटोक नहीं सकतीं। मैंने कहा, तुम अजीब औरत हो!. लेकिन खेर, यह तो घतलाओ कि अगर बादशाह के किसी इरशादी की नज़र ने मेरे : नकुलो साज़ सामान को ताड़ लिया तो क्या होगा ?" । उसने कहा,-६ अर्को साहब ! सुडारा किधर दाल है ! इतनी