पृष्ठ:लखनऊ की कब्र (भाग २).djvu/३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

  • लखनऊ को कर यह एक नौजवान औरत है और मेरे साथ नेकी करने आई है ! __ मैंने उसकी बातों पर कुछ देर तक गौर किया और फिर कहा."वह मेरी मददगार नाज़नी मिस वला में गिरफ्तार हुई है ?"

यह सुनकर नकाबपोश औरतने कहा, तुम शायद यह बात भूले न होंगे कि उस दिन वेगमलाहब के दरबार में तुम्हें गिरफ्तार करने के लिये लुच्ची आसमानी पहुंची थी। " मैंने कहा; -~~ हाँ,देशक यह बात मैं नहीं भूला हूं और यहयात मुझे बख़त्री याद है कि उस वक्त वेगमसाहब ने मुझ पर निहायत मेहरवानी की और बदमाश आसमानी ने खूबही अपने मुह की ____ नकाबपोश, और यह भी शायद तुम जानते होंगे कि इसी कमरे में एक रोज रात के वक्त आसमानी एक खनी शाल को अपने साथ ले कर तुम्हें गिरफ्तार कर के उठा ले जाने और उस खून से तुम्हें मरवा डालने की नीयत से आई थी।" मैं वाला;-~~हां, यह बात भी मुझसे छिपी नहीं है, क्यों कि उस वक्त में पड़ा पड़ा जा रहा था। लेकिन, इलका मतलब मेरी समझ में न आया कि वह जनी या आलमानो अभी तक जिन्दः हैं या वे दोनों गुनहगार दासस्वरसीदा हुए। नकाबपोश.--" नहीं वे दोनों अभी तक ज़िन्दः है. भयो कि उनको चोट हल की पहुंची थी और उस वक्त मोनारी जान उसी नाज़नी ने बचाई थी। ___ मैंने महा.- लेशिया बोन दो नुमने अब तक न बतलाई कि मेरी सददार नाजनोकरला लेफी है" नकाबपोश औरत ने कहा,--- अब नहीं कहती है क्योकि इस केबल की कुछ मैंने कहा है. उसने मेगालच यही है कि एक तो तुमसोस हाल सुनकर मुझ पर पानी और दूसरे यह कि नाज़नी पर तुम्हारे साधु सुखीयत आई है. इसे बखूबी समझ सको।