पृष्ठ:लखनऊ की कब्र (भाग २).djvu/९१

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  • शाहीमहलसरा उसने कहा, घबराओ नहीं; मैं जल्द आनेकी कोशिश करूंगो।"

यो कहकर और हाथ मिलाकर वह चलने लगी तो मैंने कहा*इस घड़ी की सुई धुमाने की बात तुमने न बतलाई ? उसने कहा,--"इस बात को भी मैं फिर तुमसे कहूंगी,इस वक्त अब एक लहजः मैं नहीं ठहर सकती। यो कह कर वह तेजी के साथ उस कमरे से बाहर होगई और 'किवाड़ ज्योंका त्यों बन्दहो गया । मैं उसी सजे हुएकमरे में अकेला एह गया, लेकिन अकेला क्यो, मेरे हमेशा के साथी--' रअलम तो मेरे साथ थे हो!!!