पृष्ठ:लालारुख़.djvu/११६

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चतुरसेन की कहानियाँ पवित्रता और जीवन को अपनी वासनाओं पर कुर्बान करते हैं !! यह पुरुष-जाति सदा-रोग, शोक, दुःख दरिद्र, पाप, यन्त्रणा में अनन्तकाल तक पड़ी रहे !!! १०६