पृष्ठ:लालारुख़.djvu/४५

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सोया हुआ शहर । सारा बोझ डाल दिया है जो सल्तनत में मनमानी धाँधली करती है।" "वह औरत कौन है : "उस औरत का नाम नूरजहाँ है, वह बादशाह को चहेती मलिका है। उसने अपने हजारों जासूसों का जाल बिछा रखा है। उनके जरिये से वह अपनी तमाम इच्छायें पूर करती है। उसकी ताकत की हद नहीं, वह जो चाहती है वह करके ही छोड़ती है, चाहे वह अच्छा काम हो चाहे बुरा।" “उसे हमारे हुजूर में हाजिर करो," मलिका ने हुक्म दिया और दो खोजों के पहरे में नूरजहाँ हाजिर हुई । मलिका ने उसकी ओर उंगली उठाकर कहा, "इसने क्या किया है ? "यह अपने दामाद शहरयार को बादशाह बनाना चाहती है। इसके लिये इसने तख्त के हकदार शाहजादा खुर्रम को मार डालने की पूरी तैयारियां कर ली हैं। इसने राज्य के बड़े २ कई अमीरों और मसनबदारों को मार डाला है। इसी के हुक्म से विद्वान और वृद्ध खानखाना अब्दुररहीम दरबार में बेइज्जत हुआ है। इसी ने बहादुर सेनापति महाबद खाँ को सल्तनत का दुश्मन बनाया है। स्वर्गवासी सम्राट अकबर ने जो हिन्दू-मुसल- मानों के प्रेम की वेल बोई थी इसने उसे उजाड़ दिया है। और यह विदेशी ईरानियों को शाही दरबार में भर रही है। इसी का भाई प्रासफखां वजीर बनकर मुग़ल सल्तनत में स्याह-सफेद जो चाहता है करता है। "शाहजादा खुर्रम को हाजिर किया जाय।"