पृष्ठ:लालारुख़.djvu/५५

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सोया हुआ शहर उसने अपने आलिङ्गन में युवती को भर लिया और उसकी आँसु भरी आँखों पर हजार हजार प्यार देकर घोड़े पर सवार हो अँधेरे में खो गया। भोली अल्हड़ युवती देखती रह गई। ४७