पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/११५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०७
सन् १९२१ की मनुष्य-गणना

फ़िजी-टापूकी तरह कितना अनिष्ट हो सकता है और कितने अपराध और पाप हो सकते है, यह कौन नहीं जानता। किसी-किसी प्रान्तमें यह विषमता बहुत ही बढ़ गयी है। उदाहरणके लिए पञ्जाबको लीजिये। वहां पुरुषोंकी अपेक्षा २० लाखके भी ऊपर स्त्रियां कम हैं। यह विषमता भावी अनिष्टकी सूचक है। देखिये, गवर्नमेंट अपनी रिपोर्ट में इस ह़ास या कमीका क्या कारण बनाती है।

नीचे हम प्रत्येक प्रांतकी जन-संख्या देते हैं और यह भी बताते हैं कि आबादीमें कितना ह़ास या कितनी वृद्धि हुई है—

प्रान्त जन-संख्या वृद्धि+ह़ास-फ़ी सदी
१—अजमेर-मेरबाग ४,९५,८९९ – १.१
२—अंडमन और नीकोबार २६,८३३ + १.४
३—आसाम ७५,९८,८६१ + १३.२
४—बल़चिस्तान ४,२१,६७९ + १.८
५—बङ्गाल ४,६६,५३,१७७ + २.६
६—बिहार और उड़ीसा ३,३९,९८,७७८ – १.४
७—बम्बई १,९३,३८,५८६ – १.८
८—ब्रह्मदेश १,३२,०५,५६४ + ९.०
९—मध्यप्रदेश और बरार १,३९,०८,५१४ – .१
१०—कुर्ग १,६४,४५९ – ६.०
११—देहली ४,८६,७४१ + १७.७
१२—मदरास ४,२३,२२,२७० + २.२
१३—पश्चिमोत्तर-सीमा-प्रान्त २२,४७,६९६ + ३.३