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पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/११६

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लेखाञ्जलि

प्रान्त जन-संख्या वृद्धि ह़ास-फ़ी सदी
१४—पञ्जाब २,०६,७८,३९३ + ५.६
१५—संयुक्त-प्रान्त ४,५५,९०,९४६ – २.६

अकेले बङ्गालको छोड़कर अपने प्रान्तकी आबादी और सभी प्रान्तोंसे अधिक है। पर बङ्गालमें तो 2½ फ़ी सदीके क़रीब जन-संख्या वृद्धि हुई; पर अपने प्रान्तमें ठीक उतनी ही कमी हो गयी। बङ्गालके निवासी अधिक सुशिक्षित हैं और उनकी आमदनी भी शायद अधिक है। अपने प्रान्तमें ये बातें नहीं। बीमार होने पर चिकित्साका भी यथेष्ट प्रबन्ध नहीं। भूखे और निर्धन मनुष्य रोगोंका अधिक शिकार ज़रूर ही होते हैं। आश्चर्य्य नहीं, जो यहाँ इतने मनुष्य कम होगये। अगर यह प्रान्त बङ्गालकी अपेक्षा अधिक कर देता हो अथवा उससे बहुत कम न देता हो तो यह इस प्रान्तका दुर्भाग्य ही समझना चाहिये जो उसकी रक्षाका ठीक-ठीक प्रबन्ध नहीं किया गया। क्योंकि मौतसे बचानेके जो साधन मनुष्यके हाथमें हैं उनसे यदि पूरे तौरपर काम लिया जाता तो बहुत सम्भव था कि इतना नर-नाश न होता।

अच्छा, अब अपने प्रान्तके ज़िलोंका हाल देखिये। प्रत्येक ज़िलेकी आबादी न देकर हम केवल प्रत्येक कमिश्नरीहीकी आबादी नीचे देते हैं–

कमिश्नरी आबादी फ़ी सदी वृद्धि+या ह़ास—
१—मेरठ ४७,१०,६७५ + १.८
२—आगरा ४१,८३,७१४ – ७.३
३—रुहेलखण्ड ५१,९७,३८५ – ८.०