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१३—जापान और भारतमें शिक्षाका तारतम्य।

इण्डियन सोशल रिफार्मर नामक पत्रमें एक लेख, शिक्षा-प्रचार-विषयक, प्रकाशित हुआ है। उसमें यह दिखाया गया है कि जापान और भारतमें शिक्षाकी क्या दशा है। इन दोनों देशोंमें शिक्षा-प्रचारका तारतम्य देखकर इस बातपर अफसोस—बहुत अफसोस—होता है कि जापानके मुकाबलेमें भारतवर्ष अत्यन्त ही पिछड़ा हुआ है। जिस जापानमें नई सभ्यताकी जागृति हुए अभी ८० वर्ष भी नहीं हुए, वही जापान इस विषयमें हजारों वर्षके सभ्य और शिक्षित भारतवर्षसे बाजी मार ले जाय, यह इस देशका परम दुर्भाग्य ही समझना चाहिये। इसका दोष, हम नहीं जानते, किसपर मढ़ें—अपने दुर्दैवपर या उस शासनपर जिसका कर्तव्य इस देशमें शिक्षा-प्रचार करना है और जो कोई डेढ़ सौ वर्षसे यहाँ अपना पराक्रम प्रकट कर रहा है।

भारतका जो अंश अँगरेजी गवर्नमेंटके अधीन है उसकी जन-